कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया है कि महाराष्ट्र में सिर्फ तीन महीनों के भीतर 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने कहा कि किसान लगातार कर्ज में डूबते जा रहे हैं और सरकार उनकी तकलीफों को नजरअंदाज कर रही है. लेकिन अब जवाब में महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा है “मुझे नहीं पता राहुल गांधी को ये आंकड़े कहां से मिले हैं, मुझे इन्हें जांचना होगा.” चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
क्या कहा राहुल गांधी ने?
राहुल गांधी ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट डाली, जिसमें उन्होंने कहा “महाराष्ट्र में हर दिन किसान कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार पूरी तरह से चुप है. MSP की कानूनी गारंटी और कर्जमाफी की मांगें अब भी अनसुनी हैं.” उन्होंने महाराष्ट्र में सिर्फ तीन महीनों में 767 किसान आत्महत्याएं होने का दावा करते हुए एक खबर का स्क्रीनशॉट भी साझा किया.
सोचिए.. सिर्फ 3 महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली।
क्या ये सिर्फ एक आंकड़ा है? नहीं। ये 767 उजड़े हुए घर हैं। 767 परिवार जो कभी नहीं संभल पाएंगे।
और सरकार? चुप है। बेरुख़ी से देख रही है।
किसान हर दिन कर्ज़ में और गहराई तक डूब रहा है – बीज महंगे हैं, खाद… pic.twitter.com/uDzFpYoMrG
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 3, 2025
मंत्री का जवाब “हम देखेंगे, आंकड़े कहां से हैं”
कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा, “मैं केंद्र सरकार से नहीं जुड़ा हूं, मैं राज्य सरकार का हिस्सा हूं. मुझे ये आंकड़े चेक करने होंगे. मुझे नहीं पता राहुल गांधी को ये संख्या कहां से मिली.” कोकाटे का कहना था कि वे सभी किसानों से जुड़े मुद्दों पर विधानसभा में चर्चा करने को तैयार हैं, और फडणवीस सरकार किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला चुकी है.
क्या सच में 767 किसानों ने आत्महत्या की?
महाराष्ट्र देश का वो राज्य है, जहां विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र दशकों से कर्ज, सूखा और बाजार में गिरते दामों की वजह से संकट में रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल हजारों किसान आत्महत्या करते हैं, और यह आंकड़ा लगातार बहस का विषय बनता रहा है. हालांकि राहुल गांघी द्वारा सांझा किए गए ये आंकड़े कितने सच हैं, ये जांच के बाद ही पता चल सकेगा.
नानाभाई पटोले ने भी उठाए सवाल
राहुल गांधी की पोस्ट के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नानाभाई पटोले ने भी केंद्र और राज्य सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि देश में किसानों की सबसे ज्यादा आत्महत्याएं महाराष्ट्र में हो रही हैं, और सरकार जो आंकड़े पेश कर रही है, असल हालात उससे कहीं ज्यादा गंभीर हैं. पटोले का कहना है कि आंकड़ों को दबाया जा रहा है, जबकि किसान रोजाना कर्ज और बेबसी में जान गंवा रहे हैं.
राजनीति बनाम जमीनी सच्चाई
राहुल गांधी जहां किसान हितैषी मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि उन्होंने कई राहत योजनाएं लागू की हैं, जैसे-
- आत्महत्या प्रभावित परिवारों को सहायता
- फसल बीमा
- सिंचाई योजनाएं
- सूखा राहत पैकेज
लेकिन किसानों के अनुसार उन्हें फसल का उचित दाम नहीं मिलता, बीमा भुगतान में देरी होती है, और कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. बता दें कि महाराष्ट्र सरकार आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद देती है.
“सिर्फ सियासत नहीं, समाधान चाहिए”
डेक्कन हेराल्ड की खबर के अनुसाल, इस मुद्दे पर बात करते हुए किसान नेता भी कहते हैं, “किसान अब भाषण नहीं, समाधान चाहते हैं. हर साल आंकड़े सामने आते हैं, सरकारें बदलती हैं, लेकिन खेत में हालात नहीं बदलते.” उनका कहना है कि सूखे, कर्ज और फसल बर्बादी से जूझ रहे किसानों को समय पर राहत नहीं दी जा रही है. कई मामलों में पात्र किसानों को छोटी-मोटी तकनीकी खामियों की वजह से सहायता से वंचित कर दिया गया.
विधायकों ने मृत किसानों के परिवारों को मिलने वाली एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता को नाकाफी बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की है. आंकड़े बताते हैं कि 2024 में महाराष्ट्र में 2,635 और 2023 में 2,851 किसानों ने आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाया.
किसान संगठनों की प्रमुख मांगें
- MSP की कानूनी गारंटी
- कर्जमाफी योजना की पारदर्शिता
- बीमा भुगतान में सुधार
- जल संकट से निपटने की दीर्घकालिक योजना