क्या आपने कभी काले सेब के बारे में सुना है? जी हां, सेब सिर्फ लाल या हरे ही नहीं होते, दुनिया में एक ऐसा भी सेब होता है जो पूरी तरह से काले रंग का होता है. इसे कहते हैं ब्लैक डायमंड एप्पल और ये जितना दिखने में रहस्यमय है, उतनी ही खास इसकी कीमत और उत्पादन भी है. यह सेब आम बाजारों में नहीं मिलता, बल्कि दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में उगता है और इसकी एक-एक फल की कीमत आपको चौंका सकती है. चलिए जानते हैं इस दुर्लभ सेब से जुड़ी पूरी कहानी कहां उगता है, क्यों इतना महंगा है और क्या यह सच में खाने लायक भी है?
कहां उगता है यह अनोखा सेब?
यह सेब आम जगहों पर नहीं मिलता. ब्लैक डायमंड एप्पल बहुत ही दुर्लभ होता है और यह भूटान की पहाड़ियों और चीन के कुछ ऊंचाई वाले इलाकों में उगता है. इसे वहां ‘हुआ नियू’ नाम से जाना जाता है. इसकी खेती करने के लिए खास तरह की जलवायु, ऊंचाई और तापमान की जरूरत होती है. यही वजह है कि दुनियाभर में इसके बहुत कम पेड़ हैं और इसका उत्पादन सीमित है.
एक सेब की कीमत कितनी?
इस सेब की सबसे चौंकाने वाली बात है इसकी कीमत. जी हां, एक ब्लैक डायमंड एप्पल की कीमत करीब 500 रुपये होती है. चीन की एक कंपनी Dandong Tialuo Sheng Nong इसे सिर्फ 50 हेक्टेयर में उगाती है और इसे किलो में नहीं, पीस के हिसाब से बेचा जाता है.
क्यों है इतना खास?
ब्लैक डायमंड एप्पल बाहर से इतना चिकना और चमकदार होता है कि दूर से ही इसकी आभा नजर आती है. यह न केवल दिखने में खास है, बल्कि इसके पेड़ भी आम सेब के मुकाबले बहुत धीमी गति से बढ़ते हैं. जहां एक आम सेब का पेड़ 4-5 साल में फल देना शुरू कर देता है, वहीं ब्लैक डायमंड सेब का पेड़ 8 साल में जाकर फल देता है. और हैरानी की बात तो ये है कि उनमें से सिर्फ 30 फीसदी पेड़ ही इस किस्म का सेब पैदा कर पाते हैं.
क्या इसे खाना सुरक्षित है?
कई लोग इसके काले रंग को देखकर डर सकते हैं, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं. यह सेब लाल और हरे सेब जितना ही सुरक्षित और पोषक होता है. इसमें घुलनशील फाइबर होता है जो कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोग से बचाने में मदद करता है. इसके अलावा, इसमें अघुलनशील फाइबर भी होता है जो पाचन को दुरुस्त करता है. यह विटामिन A और C, पोटैशियम और आयरन से भरपूर होता है.
क्यों नहीं उगाते किसान इसे?
अब सवाल उठता है कि जब यह सेब इतना खास और महंगा है, तो किसान इसे उगाते क्यों नहीं? इसकी सबसे बड़ी वजह है जलवायु की पाबंदी और लंबा इंतजार. इसे उगाने के लिए ऊंचे और ठंडे इलाके चाहिए, और फल आने में आठ साल का समय लगता है. साथ ही, हर पेड़ फल नहीं देता. यानी निवेश बहुत ज्यादा और जोखिम भी बड़ा.