पंजाब में अब तक 30.94 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई, 185 लाख टन उत्पादन की उम्मीद

पंजाब की धान पर भारी निर्भरता राज्य के जल संकट को और बढ़ा रही है. पंजाब में 14.5 लाख ट्यूबवेल सिंचाई के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं और राज्य के 70 फीसदी ब्लॉक डार्क जो में जा चुके हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 21 Jul, 2025 | 06:32 PM

Paddy cultivation in Punjab: पंजाब इस खरीफ सीजन में रिकॉर्ड धान की फसल की ओर बढ़ रहा है. अब तक 30.94 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हो चुकी है. किसानों में बंपर फसल की उम्मीद से खुशी है, लेकिन कृषि विशेषज्ञ पर्यावरण पर इसके बुरे असर को लेकर चिंतित हैं. इस बार पंजाब में 185 लाख टन धान उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले साल के 182 लाख टन से थोड़ा अधिक है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 25.19 लाख हेक्टेयर में एमएसपी वाली मोटे धान की किस्म और 5.75 लाख हेक्टेयर में बासमती की बुआई हुई है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि बुआई के समय अच्छी बारिश और अनुकूल तापमान के कारण फसल बेहतर होने की उम्मीद है और 50-60 हजार हेक्टेयर में और बुआई हो सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि धान की यह बंपर फसल किसानों को तो फिलहाल राहत दे सकती है, लेकिन पंजाब के पर्यावरण के लिए खतरा बन सकती है. यह फसल राज्य की जमीन और पानी के लिए मुफीद नहीं है. लगातार धान की खेती से भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है और पराली जलाने की समस्या भी बढ़ रही है. इसके चलते मक्का और कपास जैसी दूसरी खरीफ फसलों की खेती घट गई है और कृषि विविधीकरण की योजना को बड़ा झटका लगा है.

पंजाब में 14.5 लाख ट्यूबवेल सिंचाई के लिए होते हैं इस्तेमाल

हालांकि, इस बार धान की बुआई के दौरान मौसम अनुकूल रहा और अच्छी बारिश भी हुई, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि पंजाब की धान पर भारी निर्भरता राज्य के जल संकट को और बढ़ा रही है. पंजाब में 14.5 लाख ट्यूबवेल सिंचाई के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं और राज्य के 70 फीसदी ब्लॉक डार्क जो में जा चुके हैं. यानी वहां भूजल बेहद कम बचा है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पंजाब में हर साल जलस्तर औसतन एक मीटर गिर रहा है, जो धान ही नहीं, बाकी फसलों के लिए भी खतरा बनता जा रहा है.

गिरता हुआ जलस्तर बना चिंता का कारण

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU) के पूर्व कुलपति और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से जुड़े रहे सरदारा सिंह जोहल का कहना है कि पंजाब में धान की पैदावार कोई समस्या नहीं है, असली चिंता गिरता हुआ जलस्तर है. उन्होंने कहा कि अगर पानी ही नहीं रहेगा तो कोई फसल नहीं बच पाएगी. इसलिए जल बचाने के लिए हमें धान की खेती छोड़नी होगी. हालांकि रिकॉर्ड पैदावार को किसानों की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है.

पंजाब के लिए फसल विविधीकरण बहुत जरूरी

लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि पंजाब के कृषि मॉडल में अब तुरंत बदलाव की जरूरत है. PAU के एक और पूर्व कुलपति बीएस ढिल्लों ने कहा कि पानी की कमी और पर्यावरणीय नुकसान को देखते हुए धान पर निर्भरता टिकाऊ नहीं है. उन्होंने जोर दिया कि कृषि का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए फसल विविधीकरण (crop diversification) बेहद जरूरी है.

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