शहर चाहे जितना भी आगे बढ़ जाएं, लेकिन भारत के गांवों में आज भी किसान और पशुपालक की जिंदगी भैंस और गाय के दूध पर ही टिकी रहती है. सुबह का दूध, घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई और कई बार तो शादी-ब्याह तक का इंतजाम सब इसी दूध से चलता है. ऐसे में अगर किसी किसान ने गलत या कम दूध देने वाली भैंस खरीद ली, तो उसका मेहनत और पैसा दोनों बर्बाद हो सकता है.
इसीलिए जरूरी है कि दुधारू भैंस की सही पहचान की जाए. बहुत से नए पशुपालक इस उलझन में रहते हैं कि आखिर कैसे पहचाना जाए कि भैंस वाकई ज्यादा दूध देगी या नहीं. तो आइए जानते हैं, एक असली दुधारू भैंस को कैसे पहचाना जा सकता है.
शरीर से करें पहचान
दुधारू भैंस का शरीर कुछ खास तरीके से बना होता है. उसका पिछला हिस्सा यानी पिछवाड़ा ज्यादा चौड़ा होता है और अगला हिस्सा पतला. ऊपर से देखने पर यह शरीर तिकोना लगता है. यह बनावट इस बात का इशारा देती है कि भैंस का शरीर दूध उत्पादन के लिए बेहतर है.
इसके अलावा उसकी त्वचा चमकदार और चिकनी होती है. आंखें तेज होती हैं और उनमें चमक साफ नजर आती है. अक्सर इनकी आंखों पर बहुत कम बाल होते हैं. इन सभी संकेतों से पता चलता है कि यह पशु स्वस्थ है और दूध देने में सक्षम भी.
मुर्रा नस्ल -सबसे भरोसेमंद साथी
जब बात दुधारू भैंस की आती है, तो सबसे पहले मुर्रा नस्ल का नाम आता है. मुर्रा भैंस न सिर्फ अधिक दूध देती है, बल्कि उसका दूध गाढ़ा और पोषक तत्वों से भरपूर होता है. खासकर इसमें फैट और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है, जो इसे बाजार में और भी कीमती बनाती है.
इस नस्ल की भैंसें दूसरी या तीसरी ब्यात (ब्याने के बाद की स्थिति) में सबसे ज्यादा दूध देती हैं. यही समय होता है जब भैंस अपने पूरे सामर्थ्य के साथ दूध देती है. इसके बाद भी लगभग सातवीं ब्यात तक दूध उत्पादन अच्छा रहता है.
थनों से समझिए दूध की ताकत
अक्सर लोग थनों की बनावट से भी दुधारू भैंस की पहचान करते हैं. अगर थन एक जैसे और एक दूरी पर हों, तो समझिए पशु संतुलित है. कुछ भैंसों में थन थोड़ा टेढ़ा होता है, लेकिन अगर उन पर हल्की सफेद चमक है, तो वह भी अच्छा संकेत माना जाता है.
भैंस खरीदते समय एक और जरूरी बात ध्यान रखें कि दूध दुहते हुए खुद तीन बार देखें. सिर्फ सुनकर या दूसरों के कहने पर न भटकें, क्योंकि कई बार लोग दूध की मात्रा बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं.
उम्र का सच भी जानिए
भैंस की उम्र भी उसकी दूध देने की क्षमता से जुड़ी होती है. बहुत अधिक उम्र की भैंस दूध कम देती है. एक सामान्य भैंस 20 से 22 साल तक जीती है, लेकिन दूध उत्पादन अधिकतर दूसरी से सातवीं ब्यात तक ही अच्छा रहता है.
आप भैंस की उम्र उसके दांत और सींग देखकर समझ सकते हैं. अगर सामने के दांत घिस चुके हैं या सीधे हैं, तो समझिए उम्र ज्यादा है. सींग भी समय के साथ ज्यादा गोल होते जाते हैं. एक कमजोर और दुबली भैंस दिखे, तो उसकी उम्र पूरी होने को हो सकती है.
मादा बछड़ा है एक बोनस
अगर जिस भैंस को आप खरीद रहे हैं उसने हाल ही में मादा बछड़े को जन्म दिया है, तो यह आपके लिए फायदे का सौदा है. वह बछड़ी आने वाले समय में एक और दुधारू पशु बन सकती है. यानी एक भैंस से दो-दो भैंस का फायदा.
पशु कार्ड और कागजात भी जरूरी
आजकल हर अच्छे पशुपालक के पास अपने मवेशियों का पशु कार्ड होता है. भैंस खरीदते समय इस कार्ड को जरूर देखें, जिससे आपको उसके टीकाकरण, बीमारी और ब्यात की जानकारी मिल सके. यह कार्ड आपकी भविष्य की परेशानी को बहुत हद तक कम कर सकता है.