80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, बासमती धान की ये 8 किस्में बदल देंगी किस्मत

उत्तर और पूर्वी भारत में धान एक प्रमुख फसल है, जिसकी बुवाई जून के आखिरी या जुलाई की शुरुआत में होती है. लेकिन अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ मेहनत ही नहीं, सही बीज का चुनाव भी जरूरी होता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 10 Apr, 2025 | 04:17 PM

भारत में खरीफ सीजन की शुरुआत मानसून की पहली बारिश के साथ होती है. इसी समय देशभर के लाखों किसान धान की खेती की तैयारी शुरू करते हैं. खासकर उत्तर भारत और पूर्वी राज्यों में धान एक प्रमुख फसल है, जिसकी बुवाई जून के आखिरी या जुलाई की शुरुआत में होती है. लेकिन अच्छी पैदावार और मुनाफे के लिए सिर्फ मेहनत ही नहीं, सही बीज का चुनाव भी जरूरी होता है.

आज हम आपको धान की कुछ ऐसी टॉप बासमती किस्मों के बारे में बताएंगे जो कम समय में पकती हैं, जो ज्यादा उपज देती हैं और बाजार में अच्छे दाम भी दिला सकती हैं.

1. पूसा बासमती 1121

इस किस्म के पौधे अर्ध-बौने होते हैं और करीब 145 दिनों में तैयार हो जाते हैं. इसके चावल के दाने बेहद लंबे और खुशबूदार होते हैं, जिससे इसकी मांग देश-विदेश में काफी है. एक हेक्टेयर में करीब 4.5 टन तक उपज मिल सकती है. यह खासकर पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के लिए उपयुक्त है.

2. पूसा बासमती 1985

यह किस्म पूसा 1509 को सुधारकर तैयार की गई है और सिर्फ 115 से 120 दिन में पक जाती है. इस किस्म की खासियत यह है कि यह इमाजेथापियर नामक खरपतवारनाशी को झेल सकती है, जिससे खरपतवार नियंत्रण आसान हो जाता है. दिल्ली, पंजाब और पश्चिमी यूपी के किसान इस किस्म से 22 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज ले सकते हैं.

3. पूसा बासमती 1979

अगर आप पानी की बचत और कम मेहनत चाहते हैं, तो यह किस्म आपके लिए है. इसकी सीधी बुवाई से निराई-गुड़ाई में मेहनत नहीं लगती और यह भी इमाजेथापायर के प्रति सहनशील है. यह किस्म करीब 130 दिनों में तैयार होती है और सिंचित अवस्था में औसतन 45 क्विंटल से ज्यादा उपज देती है.

4. पूसा बासमती 1592

इस किस्म से 47 क्विंटल तक औसतन उपज मिलती है और यह झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधक होती है. पकने के बाद इसके दानों की सुगंध बेहद तेज होती है, जिससे बाजार में इसे प्रीमियम दाम मिलते हैं.

5. पूसा बासमती 1609

यह किस्म 120 दिनों में पक जाती है और इसकी औसतन उपज 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसके चावल के दाने लंबे और पकने के बाद और भी आकर्षक हो जाते हैं, जिससे किसानों को बेहतर रिटर्न मिलता है.

6. पूसा बासमती 1692

इस किस्म को खासकर पश्चिमी यूपी, दिल्ली और हरियाणा के लिए विकसित किया गया है. यह सिर्फ 115 दिन में तैयार हो जाती है और औसतन 52 क्विंटल तक उपज देती है. इसके दाने 17 मिमी तक लंबे हो सकते हैं और इनमें तेज खुशबू होती है.

7. पूसा बासमती 1886

यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है. इसके पीछे जेनेटिक स्तर पर सुधार किया गया है. इसकी उपज क्षमता 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है.

8. पूसा बासमती 1637

यह किस्म 130 दिन में पक जाती है और 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की उपज देती है. यह झौंका रोग के लिए प्रतिरोधी है और इसके दाने भी अत्यधिक सुगंधित होते हैं, जो इसे बाजार में औरों से अलग बनाते हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 10 Apr, 2025 | 01:47 PM

आम धारणा के अनुसार टमाटर की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार टमाटर की उत्पत्ति कहां हुई?