Poultry Farming : आज के समय में लोग खेती के साथ ऐसे काम तलाश रहे हैं, जिनमें खर्च कम हो और कमाई ज्यादा मिले. पोल्ट्री फार्मिंग सिर्फ मुर्गी पालन तक सीमित नहीं है. अगर किसान थोड़ी समझदारी से मुर्गी के साथ कुछ दूसरे पक्षियों का पालन करें, तो कम जगह और कम लागत में भी अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं. खास बात यह है कि कुछ पक्षी ऐसे हैं, जो मुर्गी से ज्यादा अंडे देते हैं और उनके अंडे व मांस बाजार में महंगे दामों पर बिकते हैं. यही वजह है कि इनका पालन किसानों के लिए फायदे का सौदा बन रहा है.
मुर्गी पालन के साथ क्यों जरूरी है नए विकल्प अपनाना?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ मुर्गी पालन (Poultry Farming) पर निर्भर रहने से मुनाफा सीमित हो सकता है. लेकिन अगर किसान मुर्गी के साथ अन्य पक्षियों का पालन करें, तो जोखिम भी कम होता है और कमाई के रास्ते भी बढ़ते हैं. कुछ पक्षी कम दाना खाते हैं, जल्दी तैयार हो जाते हैं और साल भर ज्यादा अंडे देते हैं. साथ ही सर्दियों के मौसम में इनके मांस की मांग बढ़ जाती है, जिससे किसानों को अतिरिक्त फायदा मिलता है.
तीतर पालन: कम खर्च में ज्यादा कमाई का रास्ता

तीतर पालन
तीतर पालन (Quail Farming) को मुर्गी पालन के साथ आसानी से किया जा सकता है. इसका रख-रखाव ज्यादा मुश्किल नहीं होता और खर्च भी कम आता है. तीतर के अंडे बाजार में मुर्गी के अंडों से महंगे बिकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक तीतर साल में करीब 300 से 320 अंडे दे सकता है. इसके अलावा सर्दियों में तीतर के मांस की मांग काफी बढ़ जाती है, क्योंकि लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं. यही वजह है कि तीतर पालन किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प बन रहा है.
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बतख पालन: पानी और खेत दोनों का फायदा

बतख पालन
बतख पालन (Duck Farming) भी किसानों के लिए मुनाफे का अच्छा जरिया है. इसके लिए तालाब या पानी से भरा टैंक होना फायदेमंद रहता है. बतख गीला चारा, कीड़े-मकोड़े, चोकर और मक्का आसानी से खा लेती हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक बतख साल में लगभग 300 अंडे देती है, जो मुर्गी से ज्यादा होते हैं. इनके अंडे और मांस दोनों की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. धान के खेतों के आसपास बतख पालन और भी फायदेमंद साबित हो सकता है.
बटेर पालन: कम जगह में बड़ा मुनाफा

बटेर पालन
बटेर पालन (Partridge Farming) उन किसानों के लिए बेहतर है, जिनके पास जगह कम है. इन्हें जमीन पर धान के छिलके या लकड़ी का बुरादा डालकर आसानी से पाला जा सकता है. बटेर को स्वीट कॉर्न, चावल और मोटे अनाज पसंद आते हैं. मीडिया रिपोर्ट बताती है कि बटेर एक साल में 250 से 300 अंडे तक दे सकता है. सर्दियों में इसके मांस की मांग ज्यादा होती है, जिससे यह अच्छे दामों पर बिकता है.