किसान संगठनों ने सरकार की आर्थिक सहायता को बताया नाकाफी, की 50000 रुपये एकड़ मुआवजे की मांग

हरियाणा में किसान यूनियनों ने फसल नुकसान पर सरकार द्वारा घोषित 7,000–15,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा नाकाफी बताया है और 50,000 रुपये प्रति एकड़ की मांग की है. जलभराव, ड्वार्फिज्म वायरस और दोबारा बुवाई से हुए नुकसान को देखते हुए किसानों ने राहत राशि बढ़ाने और कर्ज माफी की मांग की है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 10 Sep, 2025 | 10:51 PM

Haryana News: किसान यूनियनों ने फसल नुकसान पर हरियाणा सरकार द्वारा घोषित मुआवजे को लेकर नाराजगी जताई है और प्रति एकड़ 50,000 रुपये का मुआवजा देने की मांग की है. सरकार ने अभी 7,000 से 15,000 रुपये प्रति एकड़ तक की राहत की घोषणा की है. किसानों का कहना है कि यह मुआवजा उनके नुकसान की भरपाई के लिए काफी नहीं है, क्योंकि कई इलाकों में किसानों को पहले जलभराव और ड्वार्फिज्म वायरस के कारण दोबारा धान की रोपाई करनी पड़ी.

मिली जानकारी के अनुसार, आज चंडीगढ़ में हरियाणा किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और राज्य सरकार के बीच हुई बैठक में किसान नेताओं ने सरकार की राहत राशि पर नाराजगी जताई और मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग रखी. किसानों ने यह भी मांग की कि Southern Rice Black Streaked Dwarf Virus से हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए. साथ ही धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू हो और खाद वितरण में पारदर्शिता लाई जाए.

50,000 रुपये एकड़ मुआवजे की मांग

भाकियू (पिहोवा) के प्रवक्ता प्रिंस वराइच ने कहा कि सरकार ने किसानों की मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाया है. बैठक के दौरान जलभराव से हुए नुकसान के लिए दिए गए मुआवजे पर भी चर्चा हुई. किसानों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें प्रति एकड़ 50,000 रुपये का मुआवजा दिया जाए. सरकार ने आश्वासन दिया है कि इस पर सकारात्मक फैसला लिया जाएगा और ड्वार्फिज्म वायरस से हुए नुकसान के लिए किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर भी दावा कर सकेंगे.

भाकियू (शहीद भगत सिंह) के प्रवक्ता तेजवीर सिंह ने कहा कि इतने भारी नुकसान को देखते हुए सरकार को मुआवजे की राशि बढ़ानी चाहिए और जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उनके कर्ज भी माफ किए जाने चाहिए. जिन किसानों ने जमीन लीज पर लेकर खेती की थी, उनकी हालत और भी खराब है. हमने जमीन मालिकों, पंचायतों और ट्रस्टों से भी अपील की है कि वे इस साल किराये या लीज में राहत दें.

सरकार ने घोषित किया मुआवजा

इसी तरह, भाकियू (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह ने कहा कि सरकार ने 7,000 से 15,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा घोषित किया है, जो बिल्कुल नाकाफी है. खेतों में अभी भी पानी भरा हुआ है और फसल के बचने की कोई उम्मीद नहीं बची है. हम लगातार प्रभावित किसानों से मिल रहे हैं और सभी का कहना है कि सरकार का मुआवजा उनके नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएगा. इस सीजन में शाहाबाद क्षेत्र में पहले जलभराव हुआ, फिर दोबारा बुवाई करनी पड़ी और बाद में ड्वार्फिज्म वायरस ने फसल को नुकसान पहुंचाया. किसानों को करीब 70,000 रुपये प्रति एकड़ का नुकसान हुआ है, इसलिए मुआवजा कम से कम 50,000 रुपये प्रति एकड़ होना चाहिए. साथ ही, जिन किसानों के ट्यूबवेल खराब हुए हैं, उन्हें भी मुआवजा दिया जाना चाहिए.

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Published: 10 Sep, 2025 | 10:47 PM

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