भारतीय कपास निगम (CCI) ने किसानों और कपास उद्योग दोनों के हित को ध्यान में रखते हुए एक अहम कदम उठाया है. 1 सितंबर से CCI एक नई बल्क क्वांटिटी डिस्काउंट स्कीम शुरू कर रहा है, जिसका उद्देश्य नए फसल सीजन से पहले पुराने स्टॉक को कम करना है. इस योजना से कपास खरीदने वाले उद्योगों को सीधे तौर पर लाभ होगा और बाजार में कीमतों का दबाव भी संतुलित रहेगा.
400 से 600 रुपये प्रति कैंडी तक की छूट
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, CCI ने जानकारी दी है कि वह विभिन्न श्रेणी के खरीदारों को 400 रुपये से 600 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो जिन्ड कॉटन) तक की छूट देगा.
400 रुपये प्रति कैंडी की छूट उन यूनिट्स को मिलेगी जो रोजाना 2,500 से 9,999 गांठें खरीदेंगी. इसमें KVIC यूनिट्स, कोऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स, MSME मिल्स और निजी वस्त्र मिल्स शामिल हैं.
600 रुपये प्रति कैंडी की छूट बड़े खरीदारों को मिलेगी, जैसे कि 5,000 से अधिक गांठ खरीदने वाली कोऑपरेटिव व MSME मिल्स, 10,000 से अधिक गांठ खरीदने वाली निजी मिल्स और 25,000 से ज्यादा गांठें खरीदने वाले ट्रेडर्स.
यह योजना 1 से 15 सितंबर 2025 तक लागू रहेगी और यह फसल वर्ष 2024-25 के लिए होगी.
स्टॉक घटाने की बड़ी तैयारी
CCI के पास इस समय लगभग 27 लाख गांठों का स्टॉक है. फसल वर्ष 2024-25 में निगम ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर करीब 1 करोड़ गांठें खरीदी थीं, जिनमें से 14 अगस्त तक लगभग 72 लाख गांठें बेची जा चुकी हैं.
नई फसल की आवक सितंबर के मध्य से शुरू होगी. ऐसे में पुराना स्टॉक निकालने के लिए यह छूट योजना अहम भूमिका निभाएगी.
आयात शुल्क हटने से बढ़ी चुनौती
हाल ही में सरकार ने अमेरिकी 50 फीसदी टैरिफ से जूझ रहे भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को राहत देने के लिए कपास पर 11 फीसदी आयात शुल्क हटा दिया है. इससे उद्योग को अमेरिका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसे देशों से सस्ता कपास आयात करने का विकल्प मिल गया है.
वैश्विक बाजार में कपास की कीमतें भारत की तुलना में 10-12 फीसदी तक सस्ती हैं. यही वजह है कि CCI ने 19 अगस्त से अब तक अपनी कीमतों में ₹1,700 प्रति कैंडी की कटौती की है. अब नई डिस्काउंट स्कीम भी इसी प्रयास का हिस्सा है.
आयात बढ़ने से घरेलू कीमतों पर दबाव
कपास का आयात इस सीजन (सितंबर 2025 तक) 40 लाख गांठों तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले दोगुना है. सिर्फ अक्टूबर-दिसंबर 2025 की तिमाही में ही करीब 20 लाख गांठें आयात हो सकती हैं. इससे घरेलू बाजार में कीमतों पर और दबाव आ सकता है.
किसानों की चिंता
CCI के चेयरमैन ललित कुमार गुप्ता का कहना है कि निगम नए सीजन में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है और किसानों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा.
हालांकि, किसानों और किसान संगठनों ने आयात शुल्क हटाए जाने पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इससे उन्हें अपनी उपज का सही दाम नहीं मिलेगा. इस साल 22 अगस्त तक कपास की बुवाई का रकबा घटकर 108.47 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो पिछले साल के 111.39 लाख हेक्टेयर से कम है. इसका कारण यह है कि कई किसान अब मक्का, दालें और तिलहन जैसी अधिक लाभकारी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.
CCI की नई बल्क डिस्काउंट स्कीम से जहां उद्योग को राहत मिलेगी, वहीं किसानों को यह चिंता सता रही है कि आयात के कारण उनकी फसल की कीमतें गिर सकती हैं. आने वाले हफ्तों में यह देखना अहम होगा कि बाजार कैसे संतुलन बनाता है और CCI किस तरह किसानों के हित की रक्षा करता है.