Poultry Farming : भारत में रोजगार और आय के नए अवसरों की तलाश में किसान और ग्रामीण युवा हमेशा नयी तकनीक और तरीकों की ओर देख रहे हैं. मुर्गी पालन ऐसे ही आसान और लाभकारी व्यवसायों में से एक है. अब इसके लिए बड़े पोल्ट्री फार्म की जरूरत नहीं है. आप अपने घर के आंगन, पीछे की खाली जगह या छोटे कमरे में ही मुर्गियों का पालन कर सकते हैं और हर महीने अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
बिना पोल्ट्री फार्म कैसे शुरू करें मुर्गी पालन
आज छोटे स्तर पर मुर्गी पालन करना काफी आसान हो गया है. खासतौर पर देसी मुर्गियों का पालन बेहद फायदेमंद माना जाता है क्योंकि इनकी मांग बाजार में अधिक रहती है और दाम भी अच्छे मिलते हैं. आप घर में 10-20 मुर्गियों से शुरुआत कर सकते हैं. इसके लिए बड़ी जगह की जरूरत नहीं, बस 10×10 फीट का आंगन या कमरे का हिस्सा पर्याप्त है.
मुर्गियों के लिए जरूरी चीजें
मुर्गी पालन के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. 20 मुर्गियों के लिए सिर्फ 10×10 फीट का छोटा आंगन या कमरे का हिस्सा काफी है. साफ-सफाई पर ध्यान दें, ताकि रोग और संक्रमण से मुर्गियां सुरक्षित रहें. चारे और पानी की नियमित आपूर्ति जरूरी है. देसी मुर्गियों को मक्का, चावल का टूटल, चना या घर का बचा-खुचा खाना दिया जा सकता है. सुरक्षा के लिए मजबूत झोपड़ी या टीन की छत बनाएं, ताकि मौसम और जानवरों से मुर्गियों की रक्षा हो सके. सही देखभाल से पालन लाभकारी और सुरक्षित बनता है.
संभावित आमदनी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 20 देसी मुर्गियों से आप 5-6 महीने में हर मुर्गी से 30-40 अंडे पा सकते हैं. देसी अंडे की कीमत बाजार में 10-15 रुपए प्रति अंडा होती है. इससे महीने में 6,000 से 10,000 रुपए तक की आमदनी संभव है. यदि आप ब्रॉयलर या लेयर मुर्गियों को पालते हैं, तो कमाई इससे भी अधिक हो सकती है.
पालन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
- मुर्गियों के टीकाकरण और दवाओं का समय-समय पर इस्तेमाल करें.
- बारिश और ठंड से बचाव के लिए मजबूत या पक्की झोपड़ी बनाएं.
- मुर्गियों को खुली जगह में चलने का मौका दें, इससे उनकी सेहत अच्छी रहती है.
- अंडे और मुर्गियों को स्थानीय बाजार या सीधे ग्राहकों तक पहुंचाएं.
फायदे और अवसर
मुर्गी पालन न सिर्फ आय बढ़ाने का जरिया है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी देता है. छोटे स्तर पर शुरू कर आप धीरे-धीरे व्यवसाय बढ़ा सकते हैं. यह तरीका ग्रामीण युवाओं और किसानों के लिए खास तौर पर उपयोगी है, क्योंकि इसमें कम लागत और कम जगह की जरूरत होती है.