सर्दियों में बकरियां क्यों जल्दी बीमार पड़ती हैं? प्लेग और चेचक से बचाव के तरीके जान लें

सर्दियों में बकरियों पर प्लेग (PPR) और चेचक जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. एक बकरी बीमार हुई तो पूरा झुंड प्रभावित हो सकता है. ऐसे में पशुपालकों को समय पर लक्षण पहचानना, बकरियों को अलग रखना, शेड साफ और गर्म रखना और टीकाकरण करवाना बेहद जरूरी है. यही सावधानियां बड़ा नुकसान रोकती हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 30 Nov, 2025 | 05:17 PM

Goat Diseases : सर्दी शुरू होते ही खेतों की मिट्टी भले ठंडी हो जाए, लेकिन पशुपालकों की चिंता गर्म होने लगती है. वजह साफ हैजैसे-जैसे तापमान गिरता है, बकरियों के बीमार पड़ने का खतरा तेजी से बढ़ जाता है. बकरी पालन रोज़ की कमाई का मजबूत सहारा है, लेकिन सर्दियों की दो खतरनाक बीमारियांप्लेग (PPR) और चेचक (Smallpox) कई बार पूरे झुंड पर भारी पड़ जाती हैं. एक बकरी बीमार हुई तो बाकी बकरियां भी जल्द इसकी चपेट में आ जाती हैं. इसलिए सही जानकारी, वक्त पर पहचान और कुछ जरूरी सावधानियां अपनाकर किसान अपने जानवरों को बड़ी मुसीबत से बचा सकते हैं. आइए जानते हैं, सर्दियों में बकरियों को होने वाली इन खतरनाक बीमारियों के लक्षण, खतरे और बचाव..

सर्दी में बकरियों पर सबसे ज्यादा हमला करने वाली बीमारी प्लेग (PPR)

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों में बकरियों  में सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारी है प्लेग, जिसे PPR वायरस भी कहते हैं. यह वायरस इतना ताकतवर है कि एक बकरी से पूरे झुंड को संक्रमित कर सकता है. संक्रमित बकरी की आंखों से पानी बहना, तेज बुखार, मुंह से लार निकलना, सांस लेने में दिक्कत और दस्त इसके मुख्य लक्षण हैं. कुछ मामलों में जानवर खाना-पीना भी छोड़ देता है और कमजोर होकर बैठने लगता है. अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज शुरू न किया जाए तो मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है. इसलिए जैसे ही बकरी में ऐसे लक्षण दिखें, तुरंत उसे बाकी बकरियों से अलग कर देना चाहिए और पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.

चेचक रोग (Smallpox)- तेजी से फैलने वाला जानलेवा वायरस

चेचक का नाम सुनते ही खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है. यह रोग बकरियों में त्वचा पर दाने, फफोले और चकत्ते बनाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि चेचक बहुत जल्दी फैलता है और संक्रमित बकरी  के संपर्क में आने से बाकी जानवर भी बीमार हो जाते हैं. चेचक होने पर बकरी के चेहरे, कान, आंखों और शरीर पर सूजन और दाने बन जाते हैं. बकरी सुस्त हो जाती है और कई बार दूध देना भी कम कर देती है. इसकी वजह से पशुपालक का सीधा नुकसान बढ़ जाता है. जैसे ही चकत्ते दिखें, तुरंत बकरी को अलग शेड में रखें और डॉक्टर से दवा दिलवाएं. इस बीमारी को हल्के में बिल्कुल न लें.

इन बीमारियों के फैलने की वजहें और खतरे

सर्दियों में तापमान  गिरने से बकरियों की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है. ठंडे और नम शेड, गंदगी, ठंडी हवा, गीला बिछावन और अनियमित खानाये सब बीमारियों के फैलने का सबसे बड़ा कारण हैं. एक ही जगह बहुत सारी बकरियों का रहना, बिना टीकाकरण के झुंड रखना और संक्रमित जानवरों को खुला छोड़ देना खतरे को और बढ़ा देते हैं. अगर समय रहते रोकथाम न की जाए तो प्लेग और चेचक जैसे रोग पूरे झुंड में फैलकर बड़े आर्थिक नुकसान का कारण बन जाते हैं.

बचाव और सही उपचार की आसान विधियां

सर्दियों में बकरियों को बीमारी से बचाने के लिए कुछ आसान लेकिन जरूरी सावधानियां अपनाना बहुत जरूरी है. बीमार बकरियों  को तुरंत दूसरे झुंड से अलग रखें और उन्हें चरने न भेजें. समय-समय पर टीकाकरण करवाते रहें, क्योंकि सरकारी केंद्रों पर ये टीके मुफ्त मिलते हैं. शेड हमेशा सूखा, साफ और गर्म रखें, ताकि नमी संक्रमण न फैला सके. बकरियों को पौष्टिक आहार, मिनरल मिक्स और साफ पानी दें. नए जानवर खरीदने पर उन्हें 1015 दिन अलग रखें और नियमित जांच के लिए पशु चिकित्सक की सलाह लें.

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