आज के समय में पशुपालन सिर्फ ग्रामीण ही नहीं, शहरी और पढ़े-लिखे लोग भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. लेकिन गांवों में तो गाय-भैंस पालने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. चाहे अपने घर के लिए दूध चाहिए हो या बाजार में बेचने के लिए–पशुपालन आमदनी का एक बेहतरीन ज़रिया है.
लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि गाय-भैंस का दूध एक देसी चीज से नेचुरली बढ़ाया जा सकता है? जी हां, गांवों में आज भी एक खास देसी उपाय अपनाया जाता है, जिससे दुधारू पशु ज्यादा दूध देने लगते हैं. इस उपाय का नाम है– सरसों की खली.
क्या है सरसों की खली और क्यों है खास?
सरसों की खली वो पदार्थ है जो सरसों से तेल निकालने के बाद बचता है. आमतौर पर इसे खेती-बागवानी में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन गांव के लोग इसे पशुओं के लिए भी पोषक आहार की तरह देते हैं.
सरसों की खली में होता है–
- प्रोटीन
- फैट
- फाइबर
- एनर्जी देने वाले तत्व
इनसे पशु का पाचन सुधरता है, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और थकावट दूर होती है. सुस्त पशु भी फिर से एक्टिव हो जाते हैं. यही वजह है कि जब तक पशु दूध देते हैं, गांव वाले उन्हें रोज सरसों की खली जरूर खिलाते हैं.
दूध बढ़ाने में कैसे मदद करती है खली?
सरसों की खली देने से पशुओं का पेट जल्दी भरता है और दूध की मात्रा में वृद्धि होती है. इसमें मौजूद फैट और प्रोटीन थनों की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और पशु ज्यादा दूध देते हैं. इसके अलावा खली गैस की समस्या भी कम करती है जो बरसात या ठंड में आम तौर पर बढ़ जाती है. यह एक सस्ता, देसी और असरदार उपाय है जिसे गांवों में लंबे समय से अपनाया जा रहा है.
कब और कैसे दें सरसों की खली?
सरसों की खली को ऐसे ही नहीं खिलाना चाहिए. इसे पानी में भिगोकर देना चाहिए ताकि यह नरम हो जाए और पशु आसानी से पचा सकें.
खली देने का तरीका–
- अगर सुबह देना है तो रात में खली पानी में भिगो दें.
- अगर रात को देना है तो सुबह से भिगोकर रखें.
- इसे दिन में 2 बार (सुबह और शाम) दिया जा सकता है.
- इसके साथ आप फल-सब्जियों के छिलके या बचा-खुचा रसोई का खाना भी मिला सकते हैं.
- यह मिश्रण पशु के लिए न्यूट्रिशनल डाइट बन जाता है, जिससे दूध बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य भी सुधरता है.
- कहां मिलेगी सरसों की खली और कितना खर्च आएगा?
- सरसों की खली आपको तेल मिल (oil mill) या कृषि मंडी में आसानी से मिल जाएगी.
- यह आमतौर पर 20 रुपये से 30 रुपये प्रति किलो के भाव में मिलती है.
- एक दुधारू पशु को 250–500 ग्राम प्रतिदिन देना पर्याप्त होता है.
- इससे ना सिर्फ दूध में बढ़ोतरी होगी बल्कि पशु भी स्वस्थ रहेंगे और दवाइयों का खर्च भी कम होगा.