कम दूध दे रहे हैं गाय-भैंस? आहार में शामिल करें सरसों की खली, ये सावधानी भी जरूरी

सरसों की खली पशुओं के लिए पोषक आहार है, जो दूध उत्पादन बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में सहायक है. इसे पानी में भिगोकर सीमित मात्रा में देना चाहिए, ताकि पाचन क्रिया बेहतर बनी रहे.

Kisan India
नोएडा | Published: 3 Aug, 2025 | 02:39 PM

अगर आप भी अपने घर में गाय या भैंस पालते हैं और दूध की मात्रा कम होने की समस्या से परेशान हैं, तो आपके लिए एक बेहद कारगर उपाय सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरसों की खली-जो सरसों के बीजों से तेल निकालने के बाद बचती है- दूधारू पशुओं के लिए एक सस्ता, पौष्टिक और प्रभावशाली आहार विकल्प साबित हो रही है. यह न केवल दूध उत्पादन बढ़ाती है, बल्कि पशुओं की सेहत और पाचन क्षमता को भी बेहतर बनाती है.

क्या है सरसों की खली और क्यों है यह खास?

सरसों की खली सरसों के बीज से तेल निकालने के बाद बचने वाला हिस्सा होता है, जो आमतौर पर पशुओं के आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यह खली प्रोटीन और फैट से भरपूर होती है और पशुओं को ताकत देने के साथ-साथ उनके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है. विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों की खली को पानी में भिगोकर या घोल बनाकर देना सबसे अच्छा तरीका है. पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं और इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है.

दूध उत्पादन में होती है बढ़ोतरी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरसों की खली का नियमित सेवन पशुओं के दूध उत्पादन में सीधा असर डालता है. जब केवल सूखा चारा या भूसा दिया जाता है तो पशुओं का पेट तो भरता है, लेकिन उसमें पोषण की कमी रह जाती है, जिससे धीरे-धीरे दूध की मात्रा कम होने लगती है. वहीं, सरसों की खली में मौजूद पोषक तत्व दूध की मात्रा को बढ़ाने में मदद करते हैं. विशेषकर दुधारू गायों और भैंसों के लिए यह खली बेहद लाभकारी मानी जाती है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार

सरसों की खली न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ाती है, बल्कि यह पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाती है. सूखा या हरा चारा खाने के बाद गैस बनने की समस्या आमतौर पर देखी जाती है. ऐसे में सरसों की खली एक कारगर उपाय बन सकती है. इसके नियमित सेवन से पशुओं की पाचन क्रिया भी बेहतर होती है और पेट संबंधी समस्याएं कम होती हैं. यह पशुओं को मौसमी बीमारियों से भी बचा सकती है.

खली खिलाते समय बरतें ये सावधानियां

हालांकि सरसों की खली लाभकारी है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में ही देना चाहिए. अधिक मात्रा में खली देने से पशुओं को नुकसान भी हो सकता है. पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे खली को कभी पकाकर न दें, बल्कि इसे पानी में भिगोकर या घोल बनाकर ही खिलाएं. साथ ही, हर पशु की पाचन क्षमता अलग होती है, इसलिए शुरुआत में थोड़ी मात्रा में देकर पशु की प्रतिक्रिया देखी जानी चाहिए.

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