बिजली नहीं, पैडल से चलेगा काम… मक्का शेलिंग के लिए खास मशीन

मक्का शेलिंग अब आसान हो गई है. मेज शेलर मशीन से किसान बिना बिजली-ईंधन के बचा रहे हैं वक्त और मेहनत.

नोएडा | Updated On: 31 May, 2025 | 04:12 PM

मक्का की फसल की कटाई के बाद दाना निकालने का काम काफी समय और मेहनत मांगता है. खासकर छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए यह प्रक्रिया थकाऊ और महंगी साबित होती है. इसी जरूरत को देखते हुए एक पैडल ऑपरेटेड मेज शेलर मशीन तैयार की गई है, जो मक्का शेलिंग की प्रक्रिया को न सिर्फ आसान बनाती है, बल्कि समय और श्रम की भी बचत करती है. यह यंत्र न केवल समय की बचत करता है, बल्कि बिना किसी ईंधन के चलने वाला पर्यावरण के लिए भी अनुकूल विकल्प है.

बिना ईंधन के काम करने वाली मशीन

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित यह मेज शेलर मशीन पूरी तरह से पैडल से संचालित होती है. यानी इसे चलाने के लिए बिजली या किसी ईंधन की आवश्यकता नहीं पड़ती. इस यंत्र की क्षमता 130 किलोग्राम प्रति घंटे तक मक्का दाना निकालने की है, जो इसे खास तौर पर छोटे और मध्यम किसानों के लिए बेहद उपयोगी बनाती है. मशीन की डिजाइन इस तरह से की गई है कि इसे दो लोग आसानी से चला सकते हैं. एक व्यक्ति पैडल चलाकर यंत्र को संचालित करता है, जबकि दूसरा व्यक्ति मशीन में मक्का डालने का कार्य करता है.

समय और मेहनत दोनों में बचत

इस यंत्र की सबसे बड़ी खासियत इसकी डिहस्किंग और शेलिंग की क्षमता है. डिहस्किंग यानी मक्के के छिलके हटाने की क्षमता 97 प्रतिशत और शेलिंग यानी दाना निकालने की दक्षता 95 प्रतिशत तक है. इसका मतलब है कि मक्का का दाना अधिकतम मात्रा में निकलेगा और नुकसान न्यूनतम होगा. इससे किसानों को मक्का शेलिंग के दौरान होने वाली दिक्कतों से राहत मिलती है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. साथ ही, यह यंत्र मक्का निकालने में लगने वाले समय को काफी कम कर देता है, जिससे किसान अपनी मेहनत और समय दोनों बचा पाते हैं.

छोटे और मध्यम किसानों के लिए वरदान

मक्का की खेती करने वाले छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए यह यंत्र किसी वरदान से कम नहीं है. बिजली न होने या ईंधन की महंगाई के बीच, यह पैडल ऑपरेटेड यंत्र उनकी आर्थिक और शारीरिक दोनों परेशानियों को कम करता है. पर्यावरण के प्रति भी यह मशीन पूरी तरह जिम्मेदार है क्योंकि इसमें कोई प्रदूषण नहीं होता. इसके अलावा, इस यंत्र के प्रयोग से मजदूरों की भी मदद होती है. क्योंकि यह उनकी मेहनत को आसान बनाता है और मक्का निकालने की प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाता है.

Published: 31 May, 2025 | 04:09 PM