राजस्थान की मेहंदी जो दुल्हन के हाथों पर लाए रंगत, इस वजह से नाम पड़ा ‘सोजत’

सोजत मेहंदी को साल 2021 में GI टैग मिला था. इसके बाद से सोजत मेहंदी की खेती और कारोबार में और इजाफा हुआ है. ऐसे सोजत मेहंदी की खेती राजस्थान की पाली जिले में होती है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 8 Jul, 2025 | 07:54 PM

भारत में मेहंदी की बहुत चलन है. हर शुभ काम में महिलाएं हाथों पर मेहंदी चढ़ाती हैं. तीज-त्योहारों पर तो मेहंदी की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं. लेकिन शादी में मेहंदी का कुछ अलग ही महत्व होता है. हिन्दू हो या फिर मुस्लिम शादी से पहले मेहंदी के लिए बहुत बड़ा कार्यक्रम रखा जाता है, जिसमें हजारों लेकर लाखों रुपये तक खर्च होते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि दुल्हन के हाथों की खूबसूरती बढ़ाने वाली मेहंदी की खेती कहां होती है. अगर नहीं मालूम है तो आइए आज जानते हैं जीआई टैग से सम्मानित राजस्थान की सोजत मेहंदी के बारे में, जिसका डंका देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बज रहा है.

इस वजह से नाम पड़ा सोजत मेहंदी

सोजत मेहंदी की खेती राजस्थान की पाली जिला स्थित सोजत इलाके में होती है. सोजत शहर के नाम पर यहां उगाए जाने वाली मेहंदी का नाम सोजत रखा गया. ऐसे सोजत को ‘मेहंदी नगरी’ भी कहा जाता है. देश में सबसे अधिक मेहंदी की खेती यहीं पर होती है. इसके चलते इस शहर में मेहंदी की कई छोटे-बड़े कारखाने भी हैं. सोजत की मिट्टी और बारिश का पैटर्न ऐसा है कि यहां की मेहंदी में एक खास रंग आता है. यही वजह है कि सोजत के किसान बड़ी संख्या में मेहंदी की खेती करते हैं. भारत की करीब 90 फीसदी मेहंदी का उत्पादन सोजत, मारवाड़ जंक्शन और जैतारण इलाके से होता है, जिसकी वैल्यू लगभग 1,000 करोड़ रुपये है.

मेहंदी की छोटी-बड़ी 160 से अधिक फैक्ट्रियां

खास बात यह है कि पाली जिले में मेहंदी की छोटी-बड़ी 160 से अधिक फैक्ट्रियां हैं, जिसमें 20,000 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. जबकि, करीब 40,000 हेक्टेयर में इसकी खेती होती है. यहां से मेहंदी का निर्यात केवल भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि आमतौर पर मेहंदी में रंग लाने वाला मुख्य तत्व लॉसोन होता है. आम मेहंदी में लॉसोन की न्यूनतम मात्रा 1 होनी चाहिए. लेकिन सोजत मेहंदी में यह मात्रा 2.5 से भी ज्यादा होती है, जो इसे बाकी सभी किस्मों से बेहतर और खास बनाती है. इतनी अधिक लॉसोन मात्रा के कारण ही सोजत मेहंदी की रंग छोड़ने की क्षमता जबरदस्त होती है और यही इसकी असली पहचान है.

35,000 मैट्रिक टन मेहंदी पाउडर का उत्पादन

सोजत मेहंदी को साल 2021 में GI टैग मिला था. इसके बाद से सोजत मेहंदी की खेती और कारोबार में और इजाफा हुआ है. साथ ही अब लोग मेहंदी खरीदने से पहले असली और नकली की पहचान कर रहे हैं. क्योंकि मार्केट में सोजत के नाम पर नकली किस्म की भी मेहंदी बेची जाती है. अभी सोजत मेहंदी का सालाना उत्पादन करीब 35,000 मैट्रिक टन पाउडर के रूप में है.

इनकी वजह से मिला जीआई टैग

IIT खड़गपुर के छात्र रहे पंकज त्यागी की वजह से सोजत मेहंदी को जीआई टैग मिला है. साल 2017 में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने ठान लिया था कि सोजत की मशहूर मेहंदी को उसका हक यानी GI टैग दिलाकर रहना है. ऐसे में अजमेर के रहने वाले पंकज ने इस पर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की और खुद सोजत जाकर किसानों और व्यापारियों से मुलाकात की. करीब सवा साल की मेहनत के बाद उन्होंने सोजत मेहंदी की ऐतिहासिक और भौगोलिक पहचान को दस्तावेजों में दर्ज किया. साथ ही, वहां के उद्यमियों को GI टैग के फायदों के बारे में बताया और उन्हें आवेदन करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद साल 2021 में सोजत मेहंदी को जीआई टैग मिला.

क्या है जीआई टैग

सोजत मेहंदी को साल 2021 में भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा दिया गया है. ऐसे जीआई टैग का पूरा नाम Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत है. यह एक तरह का प्रमाणपत्र होता है जो यह बताता है कि कोई उत्पाद किसी खास क्षेत्र या भौगोलिक स्थान से जुड़ा हुआ है और उसकी विशिष्ट गुणवत्ता, पहचान या प्रतिष्ठा उस क्षेत्र की वजह से है.

क्या है मेहंदी की खेती करने का सही तरीका

मेहंदी के पौधे गर्म और सूखे मौसम में तेजी से बढ़ते हैं. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी गई है. लेकिन यह पथरीली, लवणीय और क्षारीय मिट्टी में भी आसानी से उग जाती है. हालांकि, मिट्टी का पीएच लेवल 7.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए. ऐसे इसकी खेती करने के लिए बारिश से पहले खेत में मेड़बंदी जरूर कर लेनी चाहिए, ताकि पानी रुके और मिट्टी की नमी बनी रहे.

कब करें मेहंदी की बुवाई

अगर किसान चाहें, फरवरी महीने में इसकी खेती शुरू कर सकते हैं. क्योंकि मेहंदी की बुवाई का सबसे सही समय फरवरी और मार्च का महीना ही होता है. आप इसे सीधे बीज या पौधे लगाकर उगा सकते हैं. सही समय और थोड़ी देखभाल से ही किसान मेहंदी की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं.

सोजत मेहंदी के बारे में कुछ फैक्ट्स

  • केवल राजस्थान के पाली जिले में होती इसकी खेती
  • साल 2021 में मिला सोजत को जीआई टैग
  • सालाना 35,000 मैट्रिक टन मेहंदी पाउडर का है उत्पादन
  • पाली जिले में छोटी-बड़ी 160 से अधिक मेहंदी फैक्ट्रियां
  • 20,000 से ज्यादा लोग मेहंदी के काम से जुड़े
  • 40,000 हेक्टेयर में होती है सोजत मेहंदी की खेती

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Published: 8 Jul, 2025 | 07:42 PM

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