सर्दियों में संतरे की फसल क्यों होती है खराब? माइट्स और गमोसिस से बचाव की पूरी जानकारी

सर्दियों में संतरे की फसल पर ठंड, कोहरा और नमी का सीधा असर पड़ता है. इस मौसम में माइट्स, गमोसिस और सिट्रस कैंकर जैसे रोग तेजी से फैलते हैं. समय पर सही देखभाल, उपचार और जैविक उपाय अपनाकर किसान फसल को नुकसान से बचा सकते हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 28 Dec, 2025 | 08:22 PM
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Winter Orange Farming : सर्दियों का मौसम संतरे की फसल के लिए सबसे नाजुक माना जाता है. तापमान में गिरावट, सुबह-शाम का कोहरा और बढ़ी हुई नमी पेड़ों को कमजोर कर देती है. ऐसे में कीट और बीमारियां तेजी से हमला करती हैं. अगर इस समय सही देखभाल न की जाए, तो संतरे की गुणवत्ता बिगड़ जाती है और उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिलती है. सर्दी के मौसम में संतरे के बागानों में माइट्स, गमोसिस और सिट्रस कैंकर जैसी समस्याएं सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं.

पत्तियों और फलों को करता है कमजोर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सर्दियों में संतरे  की फसल पर माइट्स का प्रकोप सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. ये छोटे-छोटे कीट पत्तियों और फलों का रस चूस लेते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और फल कमजोर हो जाते हैं. फल तुड़ाई के बाद पेड़ों से सूखी, कमजोर और रोगग्रस्त टहनियों को काटकर हटा देना बेहद जरूरी होता है. इसके बाद फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए उचित दवा का छिड़काव करने से पेड़ स्वस्थ रहते हैं और नई कोपलों को नुकसान नहीं पहुंचता.

गमोसिस रोग से ऐसे करें बचाव

सर्दियों में बढ़ी नमी और खेत में पानी भरने की समस्या  के कारण संतरे के पेड़ों में गमोसिस रोग तेजी से फैलता है. इस बीमारी में तने से गोंद जैसा पदार्थ निकलने लगता है, जिससे पेड़ धीरे-धीरे कमजोर होकर सूख सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस रोग से बचाव के लिए सबसे पहले खेत में पानी की निकासी की सही व्यवस्था जरूरी है. संक्रमित हिस्से को साफ करके उचित दवा या लेप लगाने से बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है. समय पर इलाज न हो तो पूरा पेड़ खराब होने का खतरा रहता है.

जैविक और घरेलू उपाय भी हैं असरदार

रासायनिक दवाओं  के साथ-साथ जैविक और घरेलू उपाय भी संतरे की फसल को सुरक्षित रखने में कारगर साबित हो रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नीम तेल का घोल छिड़कने से माइट्स और रस चूसने वाले कीटों की संख्या कम होती है. इसके अलावा छाछ या गौमूत्र का घोल फफूंद जनित रोगों को रोकने में मदद करता है. अदरक, लहसुन और हरी मिर्च से बना अर्क भी कीटों को दूर रखने का एक सुरक्षित तरीका माना जाता है. खेत में जैविक खाद, वर्मी कम्पोस्ट और लाभकारी फफूंद का उपयोग करने से मिट्टी की सेहत सुधरती है और पौधों की रोग  प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. सर्दियों में थोड़ी सी अतिरिक्त सावधानी और समय पर सही उपचार से संतरे की फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है और अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है.

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Published: 28 Dec, 2025 | 08:22 PM

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