रासायनिक खेती छोड़ जैविक खेती की ओर बढ़ रहे किसान, जानें क्या हैं बड़ी चुनौतियां

हरित क्रांति के बाद जब खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा, तब भले ही उत्पादन में तेजी आई हो, पर इसके साथ कई समस्याएं भी जन्मीं,  मिट्टी की उर्वरता कम हुई, जल स्रोत दूषित हुए और फसलों की गुणवत्ता घट गई. अब किसान फिर से प्राकृतिक रास्ते पर लौट रहे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 6 Nov, 2025 | 09:01 AM

Organic Farming: भारत में खेती सिर्फ अन्न उत्पादन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपरा, संस्कृति और जीवनशैली का हिस्सा है. वर्षों से किसान अपनी मेहनत और अनुभव से धरती को सींचते आए हैं. लेकिन हरित क्रांति के बाद जब खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा, तब भले ही उत्पादन में तेजी आई हो, पर इसके साथ कई समस्याएं भी जन्मीं,  मिट्टी की उर्वरता कम हुई, जल स्रोत दूषित हुए और फसलों की गुणवत्ता घट गई. अब किसान फिर से प्राकृतिक रास्ते पर लौट रहे हैं जैविक खेती की ओर. मगर यह बदलाव आसान नहीं है. इसमें कई व्यवहारिक और आर्थिक चुनौतियां हैं, जिनसे निपटना बेहद जरूरी है.

क्या है मुश्किल?

सबसे बड़ी चुनौती है जैविक खाद की उपलब्धता. बाजार में उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद हर समय नहीं मिलती. कई बार किसान इसे खुद तैयार करते हैं, लेकिन इसके लिए समय, संसाधन और ज्ञान की जरूरत होती है.

दूसरी बड़ी समस्या है रासायनिक खादों की आदत. दशकों से किसान इन खादों पर निर्भर हैं क्योंकि ये जल्दी असर दिखाती हैं. जबकि जैविक खाद धीरे-धीरे काम करती है और लंबे समय में मिट्टी को स्वस्थ बनाती है.

मिट्टी की उर्वरता भी एक बड़ी चिंता है. रासायनिक खेती के लगातार प्रयोग से मिट्टी के प्राकृतिक पोषक तत्व खत्म हो चुके हैं. जब किसान जैविक खेती शुरू करते हैं, तो मिट्टी को पहले पुनर्जीवित करना पड़ता है, जो एक लंबी प्रक्रिया है.

कीट प्रबंधन की दिक्कत भी सामने आती है. रासायनिक कीटनाशक तुरंत असर करते हैं, जबकि जैविक विकल्प सीमित हैं और इनकी जानकारी अभी भी बहुत से किसानों तक नहीं पहुंची है.

इसके अलावा, जल संकट भी जैविक खेती के लिए चुनौती बन गया है. अनियमित वर्षा और गिरते भूजल स्तर के कारण किसानों के लिए स्थायी कृषि प्रणाली बनाए रखना मुश्किल हो गया है.

जायटॉनिक टेक्नोलॉजी: जैविक खेती में नई उम्मीद

इन तमाम मुश्किलों का हल अब जायटॉनिक टेक्नोलॉजी के रूप में सामने आया है. यह तकनीक भारतीय कंपनी Zydex द्वारा विकसित की गई है और इसका उद्देश्य है किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन और बेहतर मिट्टी स्वास्थ्य प्रदान करना.

जायटॉनिक तकनीक के इस्तेमाल से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीव सक्रिय होते हैं, जो पोषक तत्वों का बेहतर संतुलन बनाते हैं. इससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता वापस आती है और फसलें स्वस्थ तरीके से बढ़ती हैं.

देशभर में करीब दो लाख किसान इस तकनीक को अपनाकर रासायनिक खादों के इस्तेमाल को 50 से 100 प्रतिशत तक कम करने में सफल हुए हैं. इससे उन्हें बेहतर उत्पादन के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता भी मिली है.

कैसे आसान बनती है जैविक खाद की उपलब्धता

जायटॉनिक की मदद से किसानों को जैविक खाद की कमी का भी समाधान मिल गया है. इस तकनीक में गोधन टेक्नोलॉजी का उपयोग होता है, जिसमें गोबर को फफूंद आधारित जैविक प्रक्रिया से सिर्फ 45-60 दिनों में उच्च गुणवत्ता वाली खाद (FYM) में बदला जा सकता है.

यह खाद न केवल पोषक तत्वों से भरपूर होती है, बल्कि मिट्टी को स्थायी रूप से उपजाऊ बनाती है. इससे किसानों को कम लागत में बेहतर फसल मिलती है.

प्राकृतिक कीट नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण

जायटॉनिक तकनीक पौधों की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है. इससे कीट और बीमारियों का असर कम होता है, और किसान को रासायनिक दवाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. साथ ही, मिट्टी और पानी की शुद्धता बनी रहती है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा भी होती है.

अब वक्त है प्रकृति के साथ जुड़ने का

जैविक खेती सिर्फ खेती का तरीका नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है मिट्टी, पानी और आने वाली पीढ़ियों के प्रति. अगर किसान धीरे-धीरे रासायनिक खेती से जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाएं और जायटॉनिक जैसी तकनीकों को अपनाएं, तो देश में खेती न केवल लाभकारी बनेगी बल्कि पर्यावरण के लिए भी वरदान साबित होगी.

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