Parali Management: देशभर में पराली जलाना एक बड़ी समस्या है. सरकार लगातार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित कर रही है. ऐसे में देशभर में धान की फसल कटाई के लिए तैयार हो चुकी है. देश के कुछ हिस्सों में किसान धान की कटाई कर चुके हैं और अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है पराली प्रबंधन. पराली जलाने से न केवल प्रदूषण की समस्या बढ़ती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है. लेकिन यही पराली किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है. किसान चाहें तो पारली को जलाने की जगह उसे जैविक खाद में बदलकर किसान अपनी खेती का खर्च घटाने के साथ ही मिट्टी को उपजाऊ भी बना सकते हैं.
पराली को दें जैविक खाद का रूप
पराली प्रबंधन सरकार ही नहीं किसानों के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. पराली प्रबंधन के लिए किसान अपनी फसल अवशेष को जलाने की जगह उससे जैविक खाद (Organic Fertilizer)बना सकते हैं. खास बात ये है कि किसानों को खाद बनाने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी, कुछ आसानी सी देसी तकनीक की मदद से जैविक खाद बनाई जा सकती है. पराली से जैविक खाद बनाने के लिए –
- सबसे पहले पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें.
- इसके बाद खेत के एक कोने में गड्ढा बनाएं या फिर खुले में ढेर लगाएं.
- बनाए गए गड्ढे में पराली की परत बिछाकर उस पर गोबर और मिट्टी डालें.
- पराली की हर परत को डालने के बाद उसपर पानी का हल्का छिड़काव जरूर करें.
- इस पूरी प्रक्रिया को 3 से 4 बार दोहराएं.
- ऐसा करने के कुछ हफ्तों बाद पराली सड़कर जैविक खाद बन जाएगी.
पराली से बनी खाद के फायदे
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पराली की मदद से बनाई गई खाद से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ बढ़ेंगे जो कि मिट्टी को और ज्यादा उपजाऊ बनाने में मदद करते हैं. किसान पराली से ही जैविक खाद बना लेंगे तो उन्हें अलग से जैविक खाद खरीदने पर ज्यादा पैसा नहीं खर्च करना पड़ेगा, साथ ही केमिकल खाद पर भी निर्भरता कम होगी. बता दें कि, पराली से बनी खाद से फसलें ज्यादा प्राकृतिक और सुरक्षित होंगी जो कि जैविक खेती (Organic Farming)को बढ़ावा देने की ओर महत्वपूर्ण कदम है.
पराली जलाने के नुकसान
पराली जलाने से केवल प्रदूषण की ही समस्या नहीं बढ़ती है बल्कि पराली जलाने पर मिट्टी की ऊपरी सतह पर मौजूद फसल के लिए फायदेमंद जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं. जिसके कारण जमीन की उर्वरक क्षमता घटती है और अगली फसल की पैदावार पर इसका बुरा असर पड़ता है.