पानी कम या ज्यादा फसल के लिए नुकसानदायक, सही समय पर सिंचाई का पूरा तरीका यहां जानें

गेहूं की फसल में समय पर सिंचाई बहुत जरूरी है. सही मात्रा और समय से पानी देने से फसल स्वस्थ रहती है और उत्पादन बढ़ता है. जल संरक्षण और फसल सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 3 Oct, 2025 | 08:19 PM

भारत में गेहूं की खेती देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर होती है. खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में गेहूं की फसल किसानों की आजीविका का मुख्य स्रोत है. लेकिन अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ बीज बोना ही काफी नहीं होता, बल्कि सही समय पर खाद और पानी देना भी बहुत जरूरी है. अगर फसल को जरूरी पोषण और पानी सही मात्रा में और सही समय पर मिल जाए, तभी फसल स्वस्थ रहती है और उपज भी अच्छी होती है. आज हम जानेंगे कि गेहूं की फसल में खाद और सिंचाई का सही प्रबंधन कैसे करें, जिससे किसान की मेहनत रंग लाए और उसकी आमदनी बढ़े.

फसल को सही पोषण कैसे दें?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं की फसल  को सही समय पर और सही मात्रा में खाद देना बहुत जरूरी है. गेहूं को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और जिंक जैसे पोषक तत्व चाहिए होते हैं. अगर ये तत्व सही समय पर न मिलें तो फसल कमजोर पड़ जाती है और उत्पादन कम हो जाता है.

  • डीएपी (डाई-एमोनियम फॉस्फेट):यह खाद फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की आपूर्ति करता है, जो पौधों की जड़ों  को मजबूत बनाते हैं. बुवाई के समय प्रति एकड़ लगभग 50 किलोग्राम डीएपी देना चाहिए. इससे पौधा शुरू से ही सही पोषण पाता है.
  • यूरिया:यह नाइट्रोजन का मुख्य स्रोत है, जो पौधे की हरी पत्तियों और बढ़वार के लिए जरूरी होता है. पहली सिंचाई के समय प्रति एकड़ 40-50 किलोग्राम यूरिया डालना चाहिए. दूसरी सिंचाई के दौरान 25-30 किलोग्राम यूरिया डालना फायदेमंद होता है.
  • जिंक सल्फेट: जिंक फसल में दाने बढ़ाने और पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. पहली सिंचाई के दौरान प्रति एकड़ 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट डालना चाहिए.

कब और कितना पानी दें?

गेहूं की फसल को सही समय पर पानी देना खाद देने जितना ही जरूरी है. पानी की कमी या अधिकता दोनों फसल के लिए हानिकारक होते हैं. सही समय पर सिंचाई से गेहूं की जड़ें मजबूत होती हैं और दाने अच्छे से भरते हैं. पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें. दूसरी सिंचाई कल्ले बनने के समय यानी 4045 दिन बाद करें. तीसरी सिंचाई बूटिंग स्टेज पर 60-70 दिन बाद करें. चौथी सिंचाई दाने भरने के समय 80-90 दिन बाद करें. जरूरत हो तो 110 दिन बाद अंतिम सिंचाई भी कर सकते हैं, खासकर गर्मी में.

सिंचाई के दौरान ध्यान रखने वाली बातें

पौधों को पानी सुबह जल्दी या शाम को देना बेहतर होता है क्योंकि इस समय पानी की वाष्पीकरण कम होती है और पानी का सही उपयोग होता है. अधिक पानी देने से जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए मात्रा नियंत्रित रखें. पानी की कमी होने पर केवल आवश्यक चरणों में ही सिंचाई करें ताकि पानी की बचत हो सके. खेत में पानी समान रूप से फैलाना बहुत जरूरी है ताकि सभी पौधों को बराबर मात्रा में पानी मिल सके. इस प्रकार सिंचाई करने से पौधों की वृद्धि अच्छी होती है और जल संसाधनों का संरक्षण भी होता है.

किसानों के लिए आर्थिक लाभ

सही तरीके से खाद और पानी देने से फसल की पैदावार  काफी बढ़ जाती है. इससे किसानों को कई फायदे होते हैं:-

  • उच्च पैदावार: पोषण और पानी के सही प्रबंधन से दानों की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है.
  • बेहतर गुणवत्ता: फसल रोग मुक्त रहती है, जिससे बाजार में उसकी मांग और कीमत दोनों बढ़ती है.
  • लागत में बचत: समय पर खाद और पानी देने से फसल कमजोर नहीं पड़ती, और बार-बार खर्च कम आता है.
  • बिक्री में फायदा: अच्छी गुणवत्ता वाली फसल किसानों को ज्यादा पैसे दिलाती है.

खाद का सही उपयोग कैसे करें?

खाद देने से पहले खेत की मिट्टी की जांच करना बहुत जरूरी है ताकि जमीन में कौन-कौन से पोषक तत्व कम हैं, यह पता चल सके. मिट्टी जांच के बाद ही खाद की मात्रा और प्रकार तय करें. बुवाई से पहले डीएपी खाद डालें ताकि फसल की जड़ों को तुरंत पोषण मिल सके. पहली सिंचाई के समय यूरिया और जिंक सल्फेट का छिड़काव करना चाहिए, जिससे पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलें. फसल की बढ़वार के अनुसार दूसरी सिंचाई के समय यूरिया देना भी आवश्यक होता है. इससे फसल स्वस्थ और मजबूत होती है.

सिंचाई का सही समय और तरीका अपनाएं

गेहूं की फसल को सही समय पर पानी देना बहुत जरूरी है. पानी की कमी से दानों की संख्या कम हो जाती है और अत्यधिक पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं. बुवाई के बाद पहली सिंचाई लगभग 20-25 दिन बाद करनी चाहिए. सिंचाई सुबह या शाम के समय करें ताकि पानी की बर्बादी न हो और पौधे अच्छा विकास करें. फसल के विभिन्न विकास चरणों जैसे अंकुरण, वृद्धि, और फूल आने के समय पानी की आवश्यकतानुसार मात्रा देना आवश्यक होता है. सही सिंचाई से फसल स्वस्थ रहती है और अच्छी पैदावार होती है.

किसानों के अनुभव और सुझाव

कई अनुभवी किसान बताते हैं कि उन्होंने समय-समय पर सिंचाई और खाद का ध्यान रखकर अच्छी पैदावार पाई है. वे कहते हैं कि खेत में खरपतवार हटाना भी जरूरी है ताकि पोषक तत्व फसल तक सही मात्रा में पहुंचे. खेत की मिट्टी की जांच करवा कर खाद का उपयोग करने से फसल स्वस्थ रहती है और उत्पादन बढ़ता है.

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Published: 3 Oct, 2025 | 08:19 PM

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