नागालैंड यूनिवर्सिटी ने खोजी बिना डंक वाली मधुमक्खी, बढ़ाएगी फसल की पैदावार

नागालैंड में इन मधुमक्खियों की पालना सफल रहा है, अब इसे मेघालय और अरुणाचल प्रदेश तक बढ़ाया जा रहा है. इसका मकसद वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना और किसानों की आमदनी में सुधार करना है.

नई दिल्ली | Published: 27 May, 2025 | 08:34 AM

नागालैंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण खोज की है जो हमारे किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आई है. उन्होंने दो ऐसे मधुमक्खी प्रजाति खोज निकाली है, जो बिना डंक वाले हैं और खेती में परागण (pollination) के जरिए फसल की उपज और गुणवत्ता दोनों को बेहतर बनाती हैं. ये प्रजातियां हैं- टेट्रागोनुला इरिडिपेनिस (Tetragonula iridipennis) और लेपिडोट्रिगोना आर्किफेरा (Lepidotrigona arcifera).

क्या है परागण और क्यों है ये मधुमक्खियां खास?

परागण यानी पौधों के फूलों में परागकणों का आदान-प्रदान. इससे पौधे फल, बीज और नई फसल दे पाते हैं. पारंपरिक मधुमक्खियां तो हम जानते हैं, लेकिन इन बिना डंक वाली मधुमक्खियों की खासियत यह है कि ये ज्यादा सुरक्षित और कम झिझकाने वाली होती हैं. इससे किसानों को इन्हें पालने और इस्तेमाल करने में आसानी होती है.

शोध के महत्वपूर्ण नतीजे

डॉ. अविनाश चौहान के नेतृत्व में हुए इस शोध में पाया गया कि इन मधुमक्खियों की मदद से खेती में कैसे सुधार आता है. उदाहरण के तौर पर, किंग मिर्च में इन मधुमक्खियों द्वारा परागण करने पर फल बनने की दर 29.46% थी, जबकि बिना परागण वाली फसलों में यह सिर्फ 21% थी. बीज का वजन भी करीब 60.74% बढ़ा, जो पौधों के बेहतर अंकुरण के लिए जरूरी है.

सिर्फ उपज नहीं, इलाज भी

इन मधुमक्खियों का शहद भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इससे किसानों को अतिरिक्त आय का जरिया भी मिलता है.

कौन-कौन सी फसलों के लिए फायदेमंद?

इस शोध ने बताया कि खीरा, टमाटर, बैंगन, कद्दू, लौकी, तरबूज, सिट्रस फल, ड्रैगन फ्रूट जैसी फसलों में ये मधुमक्खियां बहुत काम आती हैं. साथ ही आम, अमरुद, आंवला जैसे फलदार पेड़ों में भी इनका परागण फायदेमंद है.

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा

नागालैंड में इन मधुमक्खियों की पालना सफल रहा है, अब इसे मेघालय और अरुणाचल प्रदेश तक बढ़ाया जा रहा है. इसका मकसद वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना और किसानों की आमदनी में सुधार करना है.