Kufri Pushkar: शिमला में विकसित हुई आलू की ये खास किस्म, उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए है बेस्ट

रबी सीजन में आलू की खेती करने वाले किसानों की यही कोशिश रहती है कि वे ऐसी किस्म का चुनाव करें जिससे उन्हें अच्छा उत्पादन मिले और बाजार में अच्छी कीमत भी मिले. आलू की ऐसी ही एक बेहतरनी किस्म है जो कि उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए बेस्ट मानी जाती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 22 Oct, 2025 | 10:22 PM

Potato Variety Kufri Pushkar: आलू की कई किस्मों में से एक प्रमुख और उन्नत किस्म है कुफरी पुष्कर (Kufri Pushkar), जिसे केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI), शिमला द्वारा विकसित किया गया है. भारत में आलू की खेती किसानों की प्रमुख आजीविका का साधन है और समय-समय पर वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई नई किस्में खेती को और आसान बनाती हैं. ऐसे में जो किसान इस रबी सीजन में आलू की खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं, उनके लिए आलू की किस्म कुफरी पुष्कर एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है. बता दें कि, इस किस्म को वैज्ञानिकों द्वारा खासतौर पर उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए बनाया गया है. यही कारण है कि किसानों के बीच इसकी खेती काफी लोकप्रिय हो रही है.

कुफरी पुष्कर की खासियत

कुफरी पुष्कर आलू की सबसे बड़ी खासियत है कि ये किस्म लेट ब्लाइट रोग (Late Blight Disease) से लड़ने की क्षमता रखती है. बता दें कि, लेट ब्लाइट रोग आलू की फसल में लगने वाला सबसे खतरनाक रोग है, जो कि फसल को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाता है. इस रोग से लड़ने की क्षमता रखने के कारण किसान इस किस्म की खेती करना पसंद करते हैं. साथ ही, कुफरी पुष्कर किस्म के पौधे मध्यम आकार के होते हैं और इसमें गहरे हरे रंग की पत्तियां होती हैं. वहीं इसके कंद देखने में अंडाकार और हल्के भूरे रंग के होते हैं, जिनका गूदा सफेद रहता है. दिखने में अच्छा होने के साथ-साथ ये किस्म स्वाद में भी बेहतरीन होती है.

35 टन तक हो सकती है पैदावार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुफरी पुष्कर किस्म की खेती मैदानी इलाकों में अच्छी तरह होती है और यह किस्म बुवाई के लगभग 90 से 100 दिन मे पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बात करें इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से औसतन 30 से 35 टन उपज मिल सकती है. बता दें कि, रबी सीजन में खेती के लिए ये किस्म सबसे सही मानी जाती है और इसकी बुवाई नवंबर से जनवरी के बीज की जाती है.

किसानों को कैसे होगा फायदा

आलू की किस्म कुफरी पुष्कर पारंपरिक किस्मों की तुलना में ज्यादा उत्पादन देती है. साथ ही लेट ब्लाइट रोग के प्रति सहनशील होने के कारण किसानों को कीटनाशकों पर खर्च नहीं करना पड़ता है और फसल भी सुरक्षित रहती है. बता दे कि, इस किस्म के कंद जल्दी अंकुरित नहीं होते हैं, जिससे आलू लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. अच्छी स्टोरेज क्षमता होने के कारण किसान इसे बेचने से पहले मंडी में भाव अच्छा होने पर इसे बेच सकते हैं.

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Published: 22 Oct, 2025 | 10:22 PM

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