छोटे किसानों के लिए वरदान है अरबी की खेती, प्रति एकड़ होगी 2 लाख की कमाई

अरबी गर्म और हल्की नमी वाली जलवायु में तेजी से बढ़ती है. इसकी बुवाई फरवरी से अप्रैल तक सबसे ठीक रहती है. 25–35 डिग्री सेल्सियस तापमान इसका आदर्श है. अगर तापमान बहुत कम हो या लगातार बारिश हो जाए, तो कंद सड़ने लगते हैं और पौधे कमजोर पड़ जाते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 15 Nov, 2025 | 12:02 PM

Farming Tips: अरबी यानी घुइयां ऐसी सब्जी है जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है. स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह पौष्टिक भी है, और सबसे बड़ी बात है कि इसकी खेती मुश्किल नहीं. थोड़ी सी जमीन, सही देखभाल और समय पर कटाई से किसान अच्छी आय कमा सकते हैं. छोटे और मझोले किसानों के लिए यह फसल एक सुरक्षित और मुनाफे वाला विकल्प बनकर उभर रही है.

अरबी की खेती के लिए सही मौसम

अरबी गर्म और हल्की नमी वाली जलवायु में तेजी से बढ़ती है. इसकी बुवाई फरवरी से अप्रैल तक सबसे ठीक रहती है. 25–35 डिग्री सेल्सियस तापमान इसका आदर्श है. अगर तापमान बहुत कम हो या लगातार बारिश हो जाए, तो कंद सड़ने लगते हैं और पौधे कमजोर पड़ जाते हैं. इसलिए मौसम का सही चयन फसल की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

कैसी मिट्टी सबसे उपयुक्त?

अरबी को दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा पसंद होती है. मिट्टी जितनी भुरभुरी होगी, कंद उतने अच्छे विकसित होंगे. पानी का ठहराव बिलकुल न होने दें, क्योंकि यह पूरी फसल को खराब कर सकता है. खेत की मिट्टी का पीएच 5.5 से 7.0 के बीच हो तो पौधे तेजी से बढ़ते हैं और उत्पादन भी ज्यादा मिलता है.

खेत की तैयारी और पौध रोपण

अरबी की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी सबसे महत्वपूर्ण कदम है. शुरुआत गहरी जुताई से करें, ताकि मिट्टी नरम हो जाए. इसके बाद गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं. इससे पौधों को शुरुआती पोषण मिलता है और रोगों का जोखिम भी कम हो जाता है.

अरबी बीज से नहीं, बल्कि छोटे कंदों से उगाई जाती है. रोपण से पहले कंदों को फफूंदनाशक में डुबोकर उपचारित करें. खेत में 45×30 सेंटीमीटर की दूरी पर कंद लगाना सबसे बेहतर माना जाता है. इससे पौधों को फैलने और मोटे कंद बनाने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है.

सिंचाई और फसल की देखभाल

बुवाई के बाद हल्की सिंचाई जरूरी है. इसके बाद 7–10 दिन के अंतराल पर पानी देते रहें. गर्मियों में मिट्टी को नमीदार रखना जरूरी होता है, लेकिन पानी कभी जमा न होने दें.

खरपतवार हटाने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें. इससे पौधों का विकास तेज होता है और उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ता है.

रोग और कीट नियंत्रण

अरबी की सबसे आम समस्याएं लीफ ब्लाइट और जड़ सड़न हैं. समय पर बचाव जरूरी है. जैविक तरीकों में नीम तेल का छिड़काव काफी प्रभावी माना जाता है. जरूरत पड़ने पर कृषि विशेषज्ञ की सलाह से दवा का प्रयोग किया जा सकता है. स्वस्थ खेत, अच्छी ड्रेनेज और उर्वरक संतुलन बीमारी की संभावना को काफी हद तक कम कर देते हैं.

कब और कैसे करें कटाई?

अरबी की फसल सामान्यतः 5–6 महीने में तैयार हो जाती है. जब पत्तियां पीली होकर सूखने लगें, तो समझें कि कंद पक चुके हैं. सावधानी से खुदाई करें ताकि कंद टूटें नहीं. एक एकड़ खेत से लगभग 80–120 क्विंटल अरबी आसानी से निकल सकती है.

बाजार और कमाई

अरबी की मांग पूरे साल बनी रहती है, इसलिए किसान इसे मंडी में बेचें या सीधे सब्जी बाजार में, दोनों में अच्छा भाव मिलता है. कम लागत और कम सिंचाई में तैयार होने वाली यह फसल छोटे किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित होती है. सही योजना के साथ अरबी की खेती किसान की आमदनी को तेजी से बढ़ा सकती है और उनकी आर्थिक स्थिति बदल सकती है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

आम धारणा के अनुसार टमाटर की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार टमाटर की उत्पत्ति कहां हुई?