बुरादे की नमी से पनपती है मौत! मुर्गियों की आंतें गलाकर रख देती है ये बीमारी

पोल्ट्री फार्म में गीला बुरादा या नम दाने मुर्गियों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं. जो उनकी आंतों को नुकसान पहुंचाती हैं. समय पर इलाज न हो तो मुर्गियों की मौत हो सकती है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 17 Jul, 2025 | 04:58 PM

अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग करते हैं तो यह खबर आपकी मुर्गियों की जान बचा सकती है. फार्म में बिछाई जाने वाली बुरादे की नमी अक्सर जानलेवा साबित होती है. क्योंकि इसी नमी में छिपे होते हैं खतरनाक जीवाणु, जो धीरे-धीरे मुर्गियों की आंतों को गला डालते हैं. बीमारी का नाम है एण्टराएटिस और नेक्रोटिक एण्टराएटिस. ये सुनने में आम लगती हैं, लेकिन लक्षण पहचानने और इलाज में थोड़ी भी देर हुई तो नुकसान बड़ा हो सकता है. न सिर्फ मुर्गियों की जान जाती है, बल्कि अंडा उत्पादन और फार्म की आमदनी दोनों पर सीधा असर पड़ता है.

कैसे होती है बीमारी की शुरुआत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जब बुरादा गीला हो जाता है या दानों में नमी आ जाती है तो उसमें खतरनाक बैक्टीरिया बहुत तेजी से पनपते हैं. ई. कोलाई, क्लोस्ट्रीडियम और स्टेफाइलोकाकस जैसे जीवाणु मुर्गियों की आंतों पर हमला कर देते हैं. इससे उनकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. धीरे-धीरे आंतों में सूजन, जलन और घाव बनने लगते हैं, जिससे मुर्गियां बीमार  हो जाती हैं और उनका वजन और अंडा उत्पादन कम होने लगता है.

लक्षण पहचानें और समय रहते बचाएं अपनी मुर्गियां

अगर मुर्गियों को एण्टराइटिस या नेक्रोटिक एण्टराइटिस हो जाए तो इसके लक्षण धीरे-धीरे साफ दिखने लगते हैं. सबसे पहले उनकी बीट पतली, बदबूदार और लाल रंग की हो जाती है. कई बार बीट में बिना पचा हुआ दाना भी दिखाई देता है. इसके अलावा, मुर्गियां धीरे-धीरे खाना कम कर देती हैं, सुस्त रहने लगती हैं और कमजोर हो जाती हैं. इतना ही नहीं अंडा भी देना भी कम कर देती हैं. अगर किसी मुर्गी की मौत हो जाए और पोस्टमार्टम किया जाए तो उसकी आंतों की झिल्ली फटी हुई मिलती है और उस पर सफेद परत या छाले दिखाई देते हैं. ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत इलाज कराएं.

बीमारी से बचाव के उपाय

अगर आप चाहते हैं कि आपकी मुर्गियां तंदुरुस्त रहें और अंडा उत्पादन में कोई कमी न आए तो फार्म की सफाई और बुरादे की देखभाल को हल्के में न लें. हमेशा सूखा, साफ और नया बुरादा ही इस्तेमाल करें, क्योंकि नमी वाले बुरादे में खतरनाक बैक्टीरिया पनपते हैं जो मुर्गियों की आंतों को नुकसान पहुंचाते हैं. ध्यान दें कि फार्म के फर्श और दानों में नमी जमा न होने दें. इसके अलावा पानी के बर्तनों और पूरे फार्म की नियमित सफाई के लिए अच्छे सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें. यही नहीं मुर्गियों को दिया जाने वाला दाना भी एसिडीफायर या एंटीमाइक्रोबियल दवा से ट्रीट करें और सबसे जरूरी बात कि जैसे ही बीमारी के लक्षण दिखें, तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें. क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही फार्म को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है.

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