खाद नहीं मिली, लाठियां मिल गईं! लखीमपुर खीरी में किसान और बुजुर्ग महिला पर पुलिस की बर्बरता

लखीमपुर खीरी के भादुरा गांव में खाद के लिए लगी लाइन में किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. वायरल वीडियो में एक पुरुष किसान और एक महिला किसान को बेरहमी से पीटते हुए देखा गया. इस घटना ने किसानों की जमीनी हकीकत और सरकारी दावों के बीच गहरी खाई उजागर कर दी है.

मोहित शुक्ला
नोएडा | Updated On: 17 Jul, 2025 | 04:21 PM

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले से एक हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है. भादुरा गांव में खाद के लिए लगी लाइन में किसानों पर पुलिस ने बेरहमी से लाठियां बरसाईं. खेत की बुवाई का वक्त है, किसान सुबह से लाइन में खड़े थे, लेकिन व्यवस्था फेल हो गई. भीड़ बढ़ी तो पुलिस पहुंची और हालात संभालने के बजाय लाठीचार्ज कर दिया गया. वायरल वीडियो में एक किसान को पुलिस के सिहापी पीटते दिख रहे हैं. वहीं एक बुजुर्ग महिला किसान भी पुलिस बुरी तरह पीटती नजर आई, जो रोती रही, गिरती रही, लेकिन लाठियां नहीं रुकीं.

ये तस्वीरें सिर्फ लाठीचार्ज नहीं, बल्कि सिस्टम की बेरुखी की गवाही दे रही हैं. जब देश अन्नदाता को भगवान कहता है तो फिर उसे खाद के लिए लाठी क्यों मिलती है? महिला किसान पर हमला ये दिखाता है कि संवेदना और सम्मान दोनों अब सरकारी सिस्टम से गायब हैं.

भादुरा गांव की घटना जहां गूंजी किसान की चीखें

घटना लखीमपुर खीरी  जिले के थाना फरधान क्षेत्र के भादुरा गांव की है. यहां सहकारी समिति पर यूरिया खाद के लिए किसान सुबह से लाइन में खड़े थे. गर्मी और भीड़ के बीच जैसे ही व्यवस्था बिगड़ी, पुलिस ने हालात संभालने के बजाय किसानों पर लाठियां चला दीं. एक किसान को बुरी तरह पीटा गया. इतना ही नहीं पुलिस ने एक बुजुर्ग महिला किसान को भी बुरी तरह पीटा. जिसका वीडियो किसी ने मोबाइल में कैद कर लिया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया.

Lakhimpur Kheri News

मीटिंग करते हुए मंत्री (ऊपर वाली तस्वीर)- खाद के लिए लाइन में लगे किसान ( नीचे वाली तस्वीर में)

वायरल वीडियो देख गुस्से में जनता

वीडियो वायरल होते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. सोशल मीडिया पर यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या यही है किसान हितैषी शासन? वीडियो में साफ दिख रहा है कि किसान शांत है, मदद मांग रहा है लेकिन पुलिस बिना किसी कारण के पीट रही है. ट्विटर से लेकर फेसबुक तक यह वीडियो ट्रेंड करने लगा है और सरकार से जवाब मांगने की मांग जोर पकड़ रही है.

किसानों का आरोप- दलालों को मिलती है पहले खाद

ग्रामीणों ने किसान इंडिया से बातचीत के दौरान बताया कि सहकारी समिति में खाद का कृत्रिम संकट खड़ा किया जा रहा है. दलालों को पहले से ही खाद दे दी जाती है और आम किसान घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौटते हैं. कई किसान रोज सुबह से शाम तक लाइन में खड़े होकर वापस लौट जाते हैं. इस बार जब भीड़ ज्यादा हुई तो पुलिस ने दबाव बनाने के लिए लाठियां चलाईं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री बोले – खाद की किल्लत नहीं है

घटना के दिन से मात्र 50 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय में प्रदेश के कृषि मंत्री पत्रकारों से कह रहे थे कि जिले में खाद की कोई किल्लत नहीं है. वहीं दूसरी तरफ भादुरा और मैंगलगंज जैसे इलाकों में किसान एक-दूसरे से भिड़ रहे थे और पुलिस उन्हें पीट रही थी. यह विरोधाभास अब सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.

डीएम और एसपी की आपात बैठक, दिए सख्त निर्देश

घटना के बाद जिले की डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और एसपी संकल्प शर्मा ने तुरंत सभी अधिकारियों की बैठक बुलाई. एनआईसी सभागार में हुई इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी एसडीएम, सीओ और एसएसबी बटालियन के कमांडेंट शामिल हुए. डीएम ने निर्देश दिए कि खाद वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नियंत्रित होनी चाहिए. किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी.

अब खतौनी से ही मिलेगी खाद

इस घटना के बाद डीएम ने कहा कि हर सोसाइटी पर लेखपाल और राजस्व निरीक्षकों की तैनाती की जाए. इसके अलावा, खाद केवल कृषकों की खतौनी देखकर दी जाए ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके. साथ ही, किसी को भी जरूरत से ज्यादा खाद न दी जाए.

प्राइवेट दुकानों पर भी निगरानी

डीएम ने स्पष्ट कहा कि अगर किसी निजी विक्रेता द्वारा टैगिंग या ओवररेटिंग पाई गई तो उसका लाइसेंस रद्द कर एफआईआर दर्ज की जाएगी. सभी एसडीएम को निर्देश दिए गए कि वे खुद फील्ड में जाकर जांच करें कि दुकानें बंद न हों और स्टॉक की नियमित जांच हो.

नेपाल बॉर्डर पर कड़ी चौकसी

भारत-नेपाल सीमा से खाद की तस्करी न हो, इसके लिए एसएसबी की तीनों बटालियनों को सख्त निर्देश दिए गए हैं. डीएम ने कहा कि एक भी बोरी खाद सीमा पार न जाए और वाहनों की सघन चेकिंग हो.

क्योंकि अभी खेतों में धान और अन्य खरीफ फसलों की बुआई का समय है. ऐसे में खाद की किल्लत  और उस पर हुई पुलिस बर्बरता ने किसानों को मानसिक रूप से तोड़ दिया है. पहले खाद नहीं, फिर अपमान और अब लाठियां. ये हालात दर्शाते हैं कि व्यवस्था की जमीनी हकीकत क्या है.

किसानों की वास्तविक स्थिति बेहद खराब

इस घटना ने साफ कर दिया है कि किसानों की वास्तविक स्थिति अभी भी बेहद खराब है. सरकार चाहे जितने वादे कर ले, लेकिन जब जमीन पर किसान पिट रहा हो तो विकास के दावों की सच्चाई उजागर हो जाती है. अब विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया है और इस पूरी व्यवस्था को किसान विरोधी करार दे रहा है.

ये लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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Published: 17 Jul, 2025 | 04:06 PM

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