GM फसलों और अमेरिकी डेयरी पर किसानों की आपत्ति, पीएम मोदी को पत्र में लिखी बड़ी बात

चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि अमेरिका से सेब आयात पर शुल्क कम करने से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान हो सकता है. इससे पहले भी ऐसे कदम से स्थानीय किसान संकट में आ चुके हैं.

नई दिल्ली | Updated On: 1 Jul, 2025 | 02:07 PM

भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर देश के किसान, वैज्ञानिक, उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंभीर चिंता जता रहे हैं. सस्टेनेबल और समग्र कृषि के लिए गठित “आशा-किसान स्वराज” मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि जनरेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों और अमेरिकी डेयरी उत्पादों को भारत में अनुमति न दी जाए.

“ये केवल व्यापार नहीं, हमारी खेती, भोजन और ग्रामीण आजीविका का सवाल है”

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, चिट्ठी में संगठन ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर सरकार अमेरिकी दबाव में आकर जीएम मक्का, सोयाबीन या डेयरी उत्पादों को मंजूरी देती है, तो इससे देश की खाद्य संप्रभुता, पर्यावरणीय सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगेगा.

आशा की संयोजक कविता कुरुगांति ने कहा, “ये केवल आर्थिक सौदा नहीं है, बल्कि हमारी संप्रभुता, सुरक्षा और अस्तित्व का सवाल है. हम बीजों की आजादी कभी नहीं छोड़ सकते.”

कानूनी और वैज्ञानिक चिंताएं भी गिनाईं

चिट्ठी में यह भी कहा गया कि जीएम फसलों की अनुमति देना भारतीय कानूनों जैसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (1986) और खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम (2006) का उल्लंघन होगा. सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले भी ऐसी फसलों पर कड़े बायोसुरक्षा मानकों की मांग करते हैं.

अमेरिकी डेयरी से भारतीय पशुपालन संकट में पड़ेगा

आशा मंच ने यह भी चेतावनी दी है कि अमेरिकी डेयरी उत्पादों में rBGH (हॉर्मोन) का इस्तेमाल होता है, जिसे भारत समेत कई देशों में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानते हुए बैन कर दिया गया है. यदि इन उत्पादों को भारत में अनुमति दी गई, तो देश की 10 करोड़ ग्रामीण डेयरी आधारित आजीविका खतरे में पड़ सकती है.

सेब किसानों की भी चिंता

चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि अमेरिका से सेब आयात पर शुल्क कम करने से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान हो सकता है. इससे पहले भी ऐसे कदम से स्थानीय किसान संकट में आ चुके हैं.

सरकार से की ये अहम मांगें

चिट्ठी में आशा-किसान स्वराज मंच ने केंद्र सरकार से स्पष्ट रूप से मांग की:

  • किसी भी व्यापार समझौते में GM फसलों और डेयरी उत्पादों को सख्ती से नकारा जाए.
  • भारत के मौजूदा बायोसुरक्षा और खाद्य सुरक्षा ढांचे को और मजबूत किया जाए.
  • व्यापार नीतियों में संसद, राज्य सरकारों और वैज्ञानिक समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जाए.
Published: 1 Jul, 2025 | 02:01 PM