क्या है ‘Blood Rain’ या खूनी बारिश? जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

'ब्लड रेन' वह बारिश होती है, जिसमें रेगिस्तान से आई धूल और रेत के कण मिले होते हैं. जब यह बारिश गिरती है, तो पानी का रंग लाल या हल्का भूरा नजर आ सकता है.

Kisan India
Agra | Published: 15 Mar, 2025 | 02:05 PM

ईरान के समुद्र तट पर खूनी बारिश देखने को मिली. इस खूनी बारिश के दौरान वहां की रेत और पानी ने अचानक रंग बदल दिया. लोगों को रेत और पानी दोनों चमकीले लाल रंग में दिखने लगे. लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोई पहली बार हुई विशेष घटना नहीं है. अगर आप इस खूनी बारिश के बारे में नहीं जानते हैं, तो आइए पढ़ते हैं कि ये होती क्या है और किन हालातों में होती है?

क्या होती है ‘खूनी बारिश’?

‘ब्लड रेन’ वह बारिश होती है, जिसमें रेगिस्तान से आई धूल और रेत के कण मिले होते हैं. जब यह बारिश गिरती है, तो पानी का रंग लाल या हल्का भूरा नजर आ सकता है, और सूखने के बाद यह एक पतली धूल की परत छोड़ जाती है, जो कारों, घरों और बगीचों को ढक सकती है.

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सहारा रेगिस्तान से उठने वाली धूल के कारण होता है. जब तेज हवाएं रेगिस्तान से धूल उड़ाकर बादलों तक पहुंचा देती हैं, तो बारिश के साथ यह धूल भी गिरने लगती है.

अन्य रंगों की भी होती है बारिश

वैज्ञानिकों के मुताबिक, ‘ब्लड रेन’ का रंग हमेशा लाल नहीं होता. सहारा रेगिस्तान की अलग-अलग रंगों की मिट्टी के कारण यह बारिश कभी लाल, कभी पीली, तो कभी भूरी भी हो सकती है. हालांकि, गहरे लाल रंग की बारिश बहुत ही दुर्लभ होती है.

भारत में भी हो चुकी है ‘खूनी बारिश’

‘ब्लड रेन’ का एक प्रसिद्ध मामला 2001 में भारत के केरल राज्य में देखा गया था. वहां मानसून के दौरान हफ्तों तक रुक-रुककर लाल रंग की बारिश हुई, जिससे कपड़े तक दागदार हो गए. उस वक्त वैज्ञानिकों ने माना कि यह धूल अरब प्रायद्वीप से आई थी. हालांकि, एक अन्य थ्योरी के अनुसार, इस बारिश में जैविक कण भी हो सकते थे, जिसे लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गईं.

पहले इसे अशुभ संकेत माना जाता था

प्राचीन काल में ‘खूनी बारिश’ को किसी अनहोनी का संकेत माना जाता था. होमर की ‘इलियड’ (8वीं सदी ईसा पूर्व) और 12वीं सदी के कई ग्रंथों में इसे अशुभ घटना के रूप में दर्ज किया गया है. लेकिन 17वीं सदी में वैज्ञानिक शोधों के जरिए इसे प्राकृतिक घटना बताया गया.

आज के वैज्ञानिक इस घटना को धूल और मौसम प्रणाली के बदलाव से जोड़कर समझाते हैं. अगर यह बारिश हल्की होती है, तो धूल की मात्रा ज्यादा होती है और इसका असर साफ दिखता है. लेकिन अगर बारिश तेज हो, तो यह धूल बहकर निकल जाती है और कोई खास असर नहीं छोड़ती.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.

Side Banner

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.