मछलीपालन की ओर तेजी से बढ़ रहे लोग, 10 साल में फिश प्रोडक्शन 134 फीसदी बढ़ा, देखिए आंकड़े

भारत में मछलीपालन ने बीते कुछ सालों में जबरदस्त बढ़त दर्ज की है. उत्पादन से लेकर निर्यात तक के आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 13 Jun, 2025 | 06:58 PM

भारत में मछलीपालन अब न सिर्फ किसानों और ग्रामीणों की आमदनी बढ़ा रहा है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान दे रहा है. इंदौर में हुए अंतर्देशीय मत्स्यपालन जलीय कृषि सम्मेलन 2025 में केंद्रीय मत्स्यपालन और पशुपालन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में मछली उत्पादन 134 फीसदी बढ़ा है. इस दौरान पूरे मत्स्यपालन क्षेत्र में 103 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. खास बात यह है कि इसमें सबसे बड़ा योगदान इनलैंड फिशरी यानी अंतर्देशीय मत्स्यपालन का रहा है.

इनलैंड फिशरी में रिकॉर्ड 142 फीसदी का ग्रोथ

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बताया कि इनलैंड फिशरी में बीते 10 साल में 142 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि हुई है. 2013-14 में जहां इनलैंड फिशरी का उत्पादन 61 लाख टन था, वह अब बढ़कर 147.37 लाख टन हो चुका है. इसी तेज ग्रोथ के चलते आज भारत पूरी दुनिया में मछली उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है. इस दौरान उन्होंने ने बताया कि इस क्षेत्र में अभी भी काफी संभावनाएं हैं और सरकार इनलैंड फिशरी के 15 राज्यों के साथ मिलकर आगे की रणनीति बना रही है.

लोग प्रोटीन आधारित आहार की ओर बढ़ रहे

सम्मेलन में नीति आयोग के अध्ययन का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि अब देश की जनता चावल और गेहूं जैसे पारंपरिक कार्बोहाइड्रेट से हटकर प्रोटीन युक्त आहार की तरफ बढ़ रही है. लोग अपने खाने में मांस, अंडा और मछली को ज्यादा शामिल कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इस क्षेत्र से जुड़े लगभग 3 करोड़ लोगों के विकास के बिना विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो सकता.

बिहार हुआ आत्मनिर्भर

इस दौरान केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने बताया कि बिहार जैसे राज्य भी अब मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया है. पहले बिहार की 90 फीसदी मछली आंध्र प्रदेश से आती थी. लेकिन अब बिहार खुद न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि दूसरे राज्यों को भी मछली भेज रहा है. वहीं, देश के मछली निर्यात में भी बड़ा उछाल आया है.

निर्यात भी दोगुना पहुंचा

पिछले 10 सालों में सिर्फ मछली उत्पादन ही नहीं बढ़ा, बल्कि निर्यात में भी जोरदार उछाल आया है. 2013-14 में जहां 30,213 करोड़ रुपये का मछली निर्यात होता था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 60,524 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इस तेजी से बढ़ते निर्यात ने मत्स्य पालन क्षेत्र को विदेशी मुद्रा कमाने का बड़ा जरिया बना दिया है.

विकसित भारत में मछलीपालन की अहम भूमिका

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह का कहना है कि अगर मछलीपालन क्षेत्र में विकास की यही रफ्तार बनी रही तो 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के सपने में यह सेक्टर भी बड़ा योगदान देगा. मछलीपालन न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है, बल्कि रोजगार, पोषण और निर्यात में भी अहम भूमिका निभा रहा है.

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Published: 13 Jun, 2025 | 06:58 PM

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