भारत में खाने के तेल की खपत बहुत ज्यादा है, और यही वजह है कि देश को बड़ी मात्रा में पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल जैसे वनस्पति तेल विदेशों से मंगाने पड़ते हैं. मई 2025 में भारत ने पाम ऑयल का इतना ज्यादा आयात किया कि यह पिछले छह महीनों का सबसे ऊंचा स्तर बन गया. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है देश में कम स्टॉक और पाम ऑयल की सस्ती कीमत.
अब तक की सबसे बड़ी छलांग
भारतीय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के अनुसार, मई में भारत ने करीब 5.93 लाख मीट्रिक टन पाम ऑयल आयात किया, जो अप्रैल के मुकाबले 84 फीसदी ज्यादा है. यह आयात नवंबर 2024 के बाद से सबसे ज्यादा है. SEA का कहना है कि बीते साल अक्टूबर तक के विपणन वर्ष में भारत ने औसतन हर महीने 7.5 लाख टन से ज्यादा पाम ऑयल मंगाया.
सोया और सूरजमुखी तेल की खरीद भी बढ़ी
पाम ऑयल के साथ-साथ भारत में सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात में भी बढ़त देखने को मिली है. मई में सोया ऑयल का आयात 10.4 फीसदी बढ़कर 3.98 लाख टन तक पहुंच गया, जो जनवरी के बाद सबसे ज्यादा है. वहीं सूरजमुखी तेल की खरीदारी में भी 1.9 फीसदी की मामूली बढ़त दर्ज की गई और इसका कुल आयात 1.83 लाख टन रहा. इन तीनों तेलों की बढ़ी हुई मांग की वजह से मई 2025 में भारत का कुल वनस्पति तेल आयात 11.9 लाख टन तक पहुंच गया, जो अप्रैल के मुकाबले 33 फीसदी ज्यादा है और दिसंबर 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है.
कम स्टॉक से बढ़ी चिंता
SEA के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अप्रैल के बीच औसत से कम तेल आयात हुआ, जिससे घरेलू भंडारण घटकर 1.33 मिलियन टन रह गया, जो जुलाई 2020 के बाद सबसे कम है. इसी वजह से रिफाइनरियों ने मई में अधिक मात्रा में खरीदारी की.
जून में भी जारी रहेगा आयात का सिलसिला
खाद्य तेलों के व्यापारी राजेश पटेल का कहना है कि जून में पाम ऑयल का आयात और भी बढ़कर 8.5 लाख टन तक जा सकता है, क्योंकि इसकी कीमत सोया ऑयल से अभी भी कम है. वहीं, सोया ऑयल का आयात लगभग 4 लाख टन के आसपास स्थिर रहने की संभावना है. बता दें कि भारत पाम ऑयल मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से मंगाता है, जबकि सोया और सूरजमुखी तेल अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से आता है.
सरकार ने घटाया टैक्स, लोगों को मिल सकता है राहत
खाद्य तेल की कीमतों पर काबू पाने के लिए भारत सरकार ने इस महीने कच्चे वनस्पति तेलों पर आयात शुल्क घटाकर 10 फीसदी कर दिया है. इससे आने वाले महीनों में आयात और भी तेज हो सकता है और आम जनता को थोड़ी राहत मिल सकती है.