उत्तर प्रदेश के दो जिलों से ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो इस सवाल को मजबूती से खड़ा करती हैं कि क्या वाकई किसान प्राथमिकता हैं? लखीमपुर खीरी में खाद के लिए लाइन में लगे किसानों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं, वहीं पीलीभीत में एक युवक ने खाद की कमी पर जवाब दे रहे जिला कृषि अधिकारी को थप्पड़ मार दिया. दोनों घटनाएं अलग जिलों की हैं. लेकिन सवाल और पीड़ा एक ही है, खाद कब और किसको मिलती है?
पुलिस की लाठी और अफसर को पड़ा थप्पड़, दोनों घटनाएं सरकार के उस दावे को सवालों के घेरे में ला खड़ा करती हैं, जिसमें कहा गया था कि खाद की कोई कमी नहीं है. किसानों का आरोप है कि जरूरतमंद किसान लाइन में लगते हैं और खाली हाथ लौटते हैं, जबकि दलालों की जेबें भरी जा रही हैं. अब सरकार की योजना और जमीनी हकीकत के बीच की खाई वायरल हो रहे वीडियो और बढ़ते आक्रोश से साफ दिखाई दे रही है.
जिला पंचायत सदस्य के ड्राइवर ने मारा कृषि अधिकारी को थप्पड़
पीलीभीत में गुरुवार को जिला पंचायत सभागार में आयोजित बोर्ड बैठक उस वक्त बवाल में बदल गई, जब यूरिया खाद की कमी को लेकर जवाब दे रहे जिला कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल के साथ मारपीट हुई. बैठक में विभिन्न जनसमस्याओं पर चर्चा हो रही थी, लेकिन खाद की किल्लत का मुद्दा उठते ही माहौल गरमा गया. जिला पंचायत सदस्य नितिन पाठक और उनके ड्राइवर अनमोल ने पहले अभद्र भाषा का प्रयोग किया, फिर अनमोल ने मंच पर ही अफसर का कॉलर पकड़कर थप्पड़ मार दिया. अधिकारी किसी तरह बाहर निकाले गए, लेकिन इसके बाद अधिकारी बैठक छोड़कर चले गए.
- खाद को लेकर हाहाकार.. ओवररेटिंग पर भड़के किसान, लखीमपुर में बिक्री केंद्र पर बुलानी पड़ी पुलिस
- ड्रोन से खेती करने में समय और खर्च बच रहा, आप भी 60 फीसदी सब्सिडी पर खरीदें
- GM फसलों और अमेरिकी डेयरी पर किसानों की आपत्ति, पीएम मोदी को पत्र में लिखी बड़ी बात
- खाद नहीं मिली, लाठियां मिल गईं! लखीमपुर खीरी में किसान और बुजुर्ग महिला पर पुलिस की बर्बरता
वीडियो वायरल, एफआईआर दर्ज – सरकार पर सवाल
इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. अफसर नरेंद्र पाल ने सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर सरकारी कार्य में बाधा और मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. मामले ने प्रशासन और सियासी गलियारों दोनों में हलचल मचा दी है.
उत्तर प्रदेश राजपत्रित कृषि सेवा एसोसिएशन के अध्यक्ष जय प्रकाश चौधरी ने घटना को लोकतांत्रिक प्रणाली पर हमला बताते हुए कहा कि जिला कृषि अधिकारी के साथ संवैधानिक सदन में ऐसा व्यवहार शर्मनाक है. मैं शासन और निदेशक को पत्र लिखकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करूंगा. वहीं कृषि विभाग के डायरेक्टर पंकज त्रिपाठी ने बयान जारी कर कहा कि घटना निंदनीय है. जिलाधिकारी के माध्यम से FIR दर्ज हो चुकी है. प्रदेश में कहीं खाद की किल्लत नहीं है.

कृषि अधिकारी से बहस करते नितिन पाठक ( पीलीभीत)- खाद के लिए किसानों पर लाठी चार्ज (नीचे की दो तस्वीर लखीमपुर की)
लखीमपुर में लाठीचार्ज और मंत्री का दावा
इससे ठीक एक दिन पहले लखीमपुर खीरी के भादुरा गांव में किसानों पर उस वक्त लाठियां बरसाई गईं, जब वे सहकारी समिति से खाद लेने के लिए घंटों लाइन में खड़े थे. गर्मी और भीड़ के बीच जब व्यवस्था बिगड़ी तो पुलिस ने हालात संभालने की बजाय लाठीचार्ज कर दिया. वीडियो में एक बुजुर्ग महिला समेत कई किसानों की पिटाई साफ दिख रही है. इतना ही नहीं इसी दिन घटना स्थल से महज 50 किलोमीटर दूर प्रदेश के कृषि मंत्री पत्रकारों से कह रहे थे कि खाद की कोई किल्लत नहीं है.
अब यह विरोधाभास सरकार के लिए बड़ा संकट बन गया है. सवाल उठ रहे हैं कि अगर सब सामान्य है तो किसान क्यों पिट रहे हैं और अफसरों को थप्पड़ क्यों पड़ रहा है? ऐसा लग रहा है लखीमपुर की मार और पीलीभीत की थप्पड़, दोनों घटनाएं अब सिर्फ स्थानीय नहीं रहीं, ये यूपी के ग्रामीण किसानों के भीतर सुलग रहे उस आक्रोश का प्रतीक बन गई हैं, जिसे अब बयानबाज़ी नहीं, समाधान चाहिए.
किसान का आरोप- खाद पहले दलालों को मिलती है
किसानों का आरोप है कि खाद की आपूर्ति होते ही पहले दलालों को बोरी दे दी जाती है, जबकि आम किसान घंटों लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौटता है. पीलीभीत और लखीमपुर की घटनाएं इसी गुस्से की देन हैं. किसानों और जनप्रतिनिधियों में भी भरोसे की कमी दिख रही है, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो रहे हैं.
लखीमपुर की घटना के बाद डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने सभी एसडीएम और सीओ के साथ बैठक कर खाद वितरण की निगरानी के सख्त निर्देश दिए हैं. अब खतौनी देखकर ही खाद दी जाएगी, निजी दुकानों पर टैगिंग की जांच होगी और नेपाल बॉर्डर से तस्करी रोकने के लिए एसएसबी को भी अलर्ट किया गया है.
ये लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.