फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है कि फसल की बुवाई के लिए सही मिट्टी का चुनाव किया जाए. किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे खेती से पहले मिट्टी की जांच कर लें और जरूरत के हिसाब से मिट्टी को सही खनिज दिया जाए ताकि मिट्टी उपजऊ बन सके. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. प्रदेश के कृषि मंत्र सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि किसानों की मदद करने के उद्देश्य से सरकार प्रदेश के किसानों को जिप्सम जो कि मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है , उसको 75 फीसदी सब्सिडी पर उपलब्ध कराएगी.
75 फीसदी सब्सिडी पर खरीदें जिप्सम
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि प्रदेश के किसान अपने-अपने इलाके के राष्ट्रीय बीज गोदाम से 75 फीसदी सब्सिडी पर जिप्सम की खरीद कर सकते हैं. किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर सीमा तक 3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से जिप्सम खरीद सकते हैं. बता दें कि उत्तर प्रदेश में जिप्सम की कीमत लगभग 216 रुपये प्रति बोरी है. 75 फीसदी सब्सिडी सरकार से मिलने के बाद किसानों को अपने पास से जिप्सम की खरीद पर केवल 54 रुपये ही देने होंगे. यानी किसान कम खर्च में अपनी मिट्टी का स्वास्थ्य सुधार सकेंगे.
फसल के उत्पादन में 10 फीसदी तक वृद्धि
कृषि मंत्री ने बताया कि जिप्सम एक ऐसा खनिज है दो कि मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए बेहद ही जरूरी होता है. जिसमें 23 फीसदी कैल्शियम और 18.6 फीसदी सल्फर पाया जाता है. उन्होंने बताय कि इसके इस्तेमाल से मिट्टी के गुणों में सुधार होता है, साथी ही मिट्टी की पीएच मान भी संतुलित होता है. इसके साथ ही मिट्टी की संरचना में सुधार आने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भी 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होती है.
दलहनी फसलों के विकास में करता है मदद
जिप्मस का इस्तेमाल दलहनी और तिलहनी फसलों में भी किया जाता है. प्रदेश के कृषि मंत्री ने दलहनी और तिलहनी फसलों में जिप्सम के इस्तेमाल और फायदों का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि दलहनी फसलों में जिप्सम की मदद से राइबोजियम के जीवाणुओं की गतिविधि बढ़ती है. वहीं तिलहनी फसलों में इसके इस्तेमाल से तेल की मात्रा और पौधों का विकास बढ़ता है. जिप्सम की मदद से दलहनी और तिलहनी फसलों में 10 से 15 फीसदी की बढ़त होती है.