जापानी कृषि मंत्री का अजीब बयान, चावल पर बोला कुछ ऐसा कि देना पड़ा इस्तीफा

एटो के बयान के बाद विपक्षी दलों ने साफ कर दिया था कि अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. जनता पहले ही सरकार की नीतियों से नाखुश थी, ऐसे में यह बयान एक और झटका साबित हुआ.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 21 May, 2025 | 08:38 AM

जापान में चावल की बढ़ती कीमतों और लोगों की परेशानी के बीच एक विवादास्पद बयान ने सियासी भूचाल ला दिया. देश के कृषि मंत्री ताकु एटो को अपने एक अनुचित और असंवेदनशील बयान के चलते पद से इस्तीफा देना पड़ा. उन्होंने कहा था कि उन्हें कभी चावल खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि उनके समर्थक उन्हें चावल उपहार में दे देते हैं.

जब बयान बन गया बोझ

ताकु एटो का यह बयान सागा प्रान्त में एक सेमिनार के दौरान सामने आया, जब उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि उन्हें चावल कभी खरीदना नहीं पड़ा. इस बयान को जनता ने बेहद असंवेदनशील माना, खासकर उस समय जब जापान के नागरिक चावल की कमी और महंगाई से जूझ रहे हैं.

मीडिया और जनता के दबाव के बाद एटो ने बुधवार को प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को इस्तीफा सौंप दिया और कहा, “इस समय जब आम उपभोक्ता चावल की कीमतों से परेशान हैं, मेरे लिए कृषि मंत्री बने रहना उचित नहीं है. मैंने बेहद अनुचित टिप्पणी की थी, जिसके लिए मैं माफी मांगता हूं.”

प्रधानमंत्री ने स्वीकार की जिम्मेदारी

प्रधानमंत्री इशिबा ने एटो का इस्तीफा स्वीकार करते हुए कहा कि वह इस नियुक्ति की जिम्मेदारी लेते हैं और जनता की आलोचना को विनम्रता से स्वीकार करते हैं. खबरों के मुताबिक, अब कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी पूर्व पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइजुमी को सौंपी जा सकती है, जो युवा और लोकप्रिय नेता माने जाते हैं.

चावल संकट की असली वजह

जापान में चावल की मांग पिछले कुछ दशकों में घटी है, लेकिन यह अब भी देश के भोजन और संस्कृति का अहम हिस्सा है. वर्तमान में चावल की कीमतें बढ़ने के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं:

  • 2023 में गर्म मौसम के चलते खराब फसल
  • खाद और खेती की लागत में बढ़ोतरी
  • भूकंप को लेकर सरकार की चेतावनी के बाद पैनिक खरीदारी
  • वितरण तंत्र की विफलता और सरकारी नीति की आलोचना

हालांकि सरकार ने अपने आपात भंडार से चावल बाजार में उतारा, लेकिन कमी और दामों पर इसका खास असर नहीं पड़ा. विशेषज्ञ मानते हैं कि समस्या गहरी है और सिर्फ स्टॉक जारी करने से हल नहीं होगी.

विपक्ष का दबाव और जनता की नाराजगी

एटो के बयान के बाद विपक्षी दलों ने साफ कर दिया था कि अगर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया, तो अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. जनता पहले ही सरकार की नीतियों से नाखुश थी, ऐसे में यह बयान एक और झटका साबित हुआ. अब जब राष्ट्रीय चुनाव नजदीक हैं, यह विवाद प्रधानमंत्री इशिबा की अल्पमत सरकार के लिए और भी चुनौतियां खड़ी कर सकता है.

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