बिहार चुनाव से पहले सियासी बवाल: मतदाता सूची पर टकराव, विपक्ष ने बताया लोकतंत्र पर हमला

बिहार में हो रहे विशेष गहन पुनरीक्षण का पहला चरण समाप्त हो चुका है, जिस पर चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रेस रीलिज में 99.8 फीसदी मतदाताओं को अब तक कवर करने की बात बताई गई.

नोएडा | Updated On: 26 Jul, 2025 | 02:50 PM

पिछले एक महीने से हो रहा विशेष गहन पूनीरक्षण का पहला चरण 25 जुलाई को समाप्त हो गया. लेकिन लाखों मतदाता अभी इसी उलझन में है कि आने वाले 1 अगस्त की सूची में उनका नाम रहेगा या कटेगा. ऐसे ही एक मतदाता हैं बिहार के बक्सर जिला के रहने वाले उज्ज्वल, जो बताते हैं कि बिना उन्हें जानकारी दिए ही उनका फॉर्म भर दिया गया. चुनाव आयोग के मुताबिक 1 महीने से चल रहे SIR यानी विशेष गहन पूनीरक्षण में लगभग 99.8 फीसदी मतदाताओं को अब तक कवर किया जा चुका है. वहीं 35 लाख मतदाता या तो स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं या लपाता हैं.

बिहार विधान सभा चुनाव से पहले सियासत में बवाल मचा हुआ है, विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्ष ने इसे मतदाता सूची में छेड़छाड़ और लोकतंत्र पर हमला बताया है, जबकि चुनाव आयोग इसे निष्पक्ष चुनाव की तैयारी बता रहा है. मुख्य विपक्षी दल राजद, कांग्रेस समेत तमाम विपक्ष के दलों ने कहा है कि SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लोकतंत्र के खिलाफ षड्यंत्र हैं. इन दिनों चाहे संसद हो या बिहार विधानसभा, विपक्ष का हंगामा देखने को मिल रहा है. विपक्ष का आरोप है कि आयोग इस प्रक्रिया के जरिए चुनिंदा व्यक्तियों के नाम मतदाता सूची से हटाना चाहती है.

SIR का पहला चरण समाप्त

बिहार में हो रहे विशेष गहन पुनरीक्षण का पहला चरण समाप्त हो चुका है, जिस पर चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रेस रीलिज में 99.8 फीसदी मतदाताओं को अब तक कवर करने की बात बताई गई. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जिनका भी फॉर्म जमा हुआ है, क्या इसमें उनकी भागीदारी है ? आपको बता दें कि किसान इंडिया से बात करते हुए मतदाता उज्ज्वल कुमार ने अपनी परेशानी बताई. उन्होंने कहा कि वे पिछले 6 महीने से घर नहीं गए हैं और SIR की अंतिम तिथि को अपना फॉर्म भरने का प्रयास किया, जिससे उन्हें मालूम चला कि उनका फॉर्म पहले से ही भर दिया गया है. उज्ज्वल का कहना है कि फॉर्म में हस्ताक्षर का कॉलम है और मेरे घर गए बिना मेरा हस्ताक्षर कैसे हो सकता है? इस तरह की शिकायतें सिर्फ एक की नहीं हैं, ऐसी  कई शिकायतें बिहार के अलग-अलग जगहों से आ रही हैं, जहां BLO मतदाता की अनुमति के बिना ही खुद से हस्ताक्षर कर फॉर्म भर दे रहा है.

संसद से सड़क तक गूंजा विरोध

संसद का मॉनसून सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी, वॉकआउट और लगातार हंगामा किया, जिसके चलते संसद की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा. विपक्ष की ओर से हो रही नारेबाजी में सोनिया गांधी भी शामिल रहीं. वहीं बिहार विधानसभा में भी राजद और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर जमकर बवाल देखने को मिला. इसके अलावा कांग्रेस के छात्र संगठन NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के कार्यकर्ताओं ने भी पटना समेत कई जिलों में रोड मार्च और धरना-प्रदर्शन किए.

विपक्ष के नेताओं का आयोग के प्रती नाराजगी

लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए चुनाव आयोग को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि हम यहां एक बहुत ही गंभीर मुद्दे पर बात कर रहे हैं. चुनाव आयोग अब भारत के चुनाव आयोग जैसा व्यवहार नहीं कर रहा. हमारे पास ठोस सबूत हैं. 100 फीसदी पक्के सबूत है कि कर्नाटक की एक सीट पर चुनाव आयोग ने धांधली होने दी. यह कोई 90 पीसदी नहीं, बल्कि पूरी तरह से प्रमाणित मामला है.  वहीं बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर काफी मुखर हैं. उनका कहना है कि जब सब कुछ तय हो ही गया है, खुलेआम बेईमानी ही करनी है.

सत्ता पक्ष की ओर से भी उठने लगी आवाजें

विपक्ष के बाद अब सत्ता पक्ष की ओर से भी दबे स्वर में आवाजें उठने लगी हैं. पहले NDA गठबंधन के मुख्य चेहरा चंद्रबाबू नायडू ने SIR पर चिंता जताई थी, साथ ही चुनाव आयोग से कहा था कि विशेष गहन पुनरीक्षण को पर्याप्त समय सीमा के भीतर, आदर्श रूप से किसी भी प्रमुख चुनाव के छह महीने के भीतर, आयोजित न करने को कहा था. इसके बाद बिहार के बांका से सांसद गिरधारी यादव ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि SIR एक तुगलकी फरमान है. सांसद कहते हैं कि “मुझे मेरे दस्तावेज़ जुटाने में 10 दिन लग गए. मेरा बेटा अमेरिका में रहता है. वह सिर्फ एक महीने में हस्ताक्षर कैसे कर देगा? यह हम पर जबरदस्ती थोपा गया है. यह तुगलकी फरमान है चुनाव आयोग का. हालांकि बाद में गिरधारी यादव ने स्पष्ट किया कि यह उनका निजी राय था. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या राजनीति में निजी राय सच में निजी होती है?

चुनाव आयोग का पक्ष

विपक्ष के आरोपों के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का बयान सामने आया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हमारे लोकतंत्र की नींव है. क्या सिर्फ कुछ लोगों के दबाव में आकर चुनाव आयोग को ऐसा कदम उठाना चाहिए जिससे मृतक, देश छोड़ चुके, दो जगह वोट करने वाले, फर्जी या विदेशी लोगों के नाम पर वोट डाले जा सकें? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसा करना संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ नहीं होगा? उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जो पारदर्शी तरीके से सही और प्रमाणिक मतदाता सूची तैयार कर रहा है, वही निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र की असली बुनियाद है।

एक तरफ विपक्ष आरोप लगा रहा है कि यह पूरी प्रक्रिया एक सोची-समझी साजिश है, दूसरी ओर सत्ता पक्ष या तो चुप है या बचाव की मुद्रा में. चुनाव आयोग अपनी सफाई में पारदर्शिता की बात कर रहा है, लेकिन इन तीनों के शोर के बीच सबसे अहम आवाज जनता की कहीं गुम होती सी लगती है.

Published: 26 Jul, 2025 | 02:46 PM