एथेनॉल और शुगर MSP में बढ़ोतरी की तैयारी, चीनी उद्योग को मिल सकती है राहत

किसानों को बढ़ा हुआ गन्ना मूल्य (FRP) और स्थिर बाजार कीमतों के दबाव से जूझ रहा है. उद्योग की एक बड़ी मांग यह रही है कि सरकार शुगर के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) और एथेनॉल के दाम बढ़ाए, ताकि मिलों को आर्थिक स्थिरता मिल सके और किसानों को समय पर भुगतान हो सके.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 19 Nov, 2025 | 09:37 AM

Sugar MSP: भारत का चीनी उद्योग पिछले कई सालों से बढ़ती लागत, किसानों को बढ़ा हुआ गन्ना मूल्य (FRP) और स्थिर बाजार कीमतों के दबाव से जूझ रहा है. उद्योग की एक बड़ी मांग यह रही है कि सरकार शुगर के न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) और एथेनॉल के दाम बढ़ाए, ताकि मिलों को आर्थिक स्थिरता मिल सके और किसानों को समय पर भुगतान हो सके. अब केंद्र सरकार इन मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है और जल्द ही बड़ा फैसला आने की संभावना है. छह साल से शुगर MSP में कोई बदलाव नहीं हुआ है, ऐसे में यह कदम उद्योग और किसानों दोनों के लिए राहत लेकर आ सकता है.

शुगर MSP पर जल्द फैसला, 2019 से नहीं बदले दाम

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, यूनियन फूड मिनिस्टर प्रह्लाद जोशी ने बताया कि चीनी का MSP अंतिम बार फरवरी 2019 में बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो किया गया था और तब से इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई है.

इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने सरकार से MSP को 40 रुपये प्रति किलो करने की मांग की है, जबकि नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री (NFCSF) का कहना है कि MSP कम से कम देश के औसत एक्स-मिल कीमत के बराबर होना चाहिए.

सरकार ने हाल ही में 202526 सीन के लिए 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है. पहले 202425 में 10 लाख टन के निर्यात पर दाम स्थिर रहे थे. अब सरकार निर्यात की अनुमति का घरेलू बाजार पर क्या असर होता है, यह देखने के बाद MSP पर अंतिम निर्णय लेगी.

इथेनॉल की कीमतों पर भी जल्द निर्णय संभव

सरकार एथेनॉल के दाम बढ़ाने पर भी विचार कर रही है, खासकर उस एथेनॉल पर जो गन्ना रस, बी-हेवी और सी-हेवी शीरे से बनता है.

वर्तमान में दरें इस तरह हैं:

गन्ना रस/सीरप से बना इथेनॉल: 65.61 रुपये/लीटर

बी-हेवी शीरा: 60.73 रुपये/लीटर

सी-हेवी शीरा: 57.97 रुपये/लीटर

अनाज आधारित (मकई): 71.86 रुपये/लीटर

कई मिलों का कहना है कि गन्ना रस से एथेनॉल बनाना व्यवहारिक नहीं है क्योंकि 1 टन गन्ने से लगभग 70 लीटर एथेनॉल मिलता है, जबकि उत्तर प्रदेश में मिलों को गन्ना 4000 रुपये/टन खरीदना अनिवार्य है. इससे मिलों को लागत और कमाई के बीच बड़ा अंतर पड़ता है.

उद्योग की दलील

गन्ने का FRP 2019–20 के 275 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 202526 में 29 फीसदी बढ़कर 355 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. ISMA के मुताबिक चीनी का उत्पादन लागत अब लगभग 40.24 रुपये प्रति किलो पहुंच चुकी है. इसलिए MSP बढ़ाना उद्योग और किसानों को स्थिरता देने के लिए जरूरी हो गया है.

उद्योग की मांग है कि MSP को FRP से जोड़ा जाए. यानी जैसे ही गन्ने का भाव बढ़े, उसी अनुपात में चीनी का MSP भी अपने आप बढ़ जाए.

प्रधानमंत्री द्वारा डिजिटल पहल की शुरुआत

मंत्री जोशी ने वेयरहाउसिंग और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए कई डिजिटल पहल भी लॉन्च कीं. इनका उद्देश्य आपूर्ति प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाना, ट्रैकिंग आसान करना और खाद्य वितरण को अधिक कुशल बनाना है.

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