किसान दिवस 2025 के मौके पर ITC ने विकसित भारत 2047 विजन के साथ भारत के खेती-बाड़ी में बदलाव में अहम योगदान देने का अपना वादा दोहराया. ITC ने ‘मिट्टी मेरा देश – टेल्स फ्रॉम द हार्टलैंड’ कैंपेन लॉन्च किया, जो किसानों की सफलता की कहानियों को जिंदा करती है. यह कैंपेन ITC के क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर (CSA) प्रोग्राम पर आधारित है, जो क्लाइमेट चेंज के पर्यावरण और सामाजिक असर को दूर करने की कोशिश करता है. कंपनी कैंपेन के जरिए किसानों को आधुनिक खेती विधियों जैसे जीरो टिलेज, डायरेक्ट सीडेड राइस, रेज्ड-बेड प्लांटिंग, मल्चिंग आदि के बारे में जागरूक कर रही है. अब तक 22 लाख किसानों को लाभ पहुंचाया जा चुका है, जिससे उनकी कृषि लागत से 30 फीसदी अधिक आय हो चुकी है और 20 फीसदी तक उपज में भी बढ़ोत्तरी हुई है.
‘मिट्टी मेरा देश’ सीरीज़ केंद्र सरकार की ‘मेरी माटी मेरा देश’ पहल से प्रेरणा लेती है, जिसे 2023 में आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के तौर पर लॉन्च किया गया था. खेती में क्लाइमेट की मजबूती बनाने में ITC के योगदान को दिखाने के लिए यह कैंपेन जमीनी स्तर की कहानियों को दिखाती है जो किसानों के अनुभवों और एग्री वैल्यू चेन में ITC के दखल के असर को दिखाती हैं.
किसानों को खराब मौसम से होने वाले खतरे से बचाता है ITC
ITC के क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर (CSA) प्रोग्राम का मकसद किसानों को क्लाइमेट चेंज और खराब मौसम से होने वाले रिस्क से बचाना है. इसके लिए रीजेनरेटिव एग्रीकल्चर, क्लाइमेट-रेसिलिएंट फसल की किस्में, बेहतर एग्रोनॉमी, मैकेनाइजेशन और नेचर-बेस्ड सॉल्यूशन को बढ़ावा दिया जाता है. इस प्रोग्राम में गेहूं, चावल, सोयाबीन, प्याज, फल और मसाले जैसी फसलें शामिल हैं. इसके साथ ही जीरो टिलेज, डायरेक्ट-सीडेड चावल, रेज्ड-बेड प्लांटिंग, मल्चिंग और अल्टरनेट गीला और सुखाना जैसी प्रैक्टिस को बढ़ावा देता है.
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खेती में पानी का इस्तेमाल कम करने के लिए नई तकनीक
खेती में पानी का इस्तेमाल कम करने के लिए कंपनी धान, गन्ना, गेहूं, सोयाबीन और फल और सब्जियों जैसी फसलों में माइक्रो इरिगेशन, ज्यादा दूरी, ट्रैश मल्चिंग जैसी फसल और एरिया-स्पेसिफिक एग्रोनॉमिक और माइक्रो-इरिगेशन टेक्नीक को बढ़ावा देती है. 2024-25 के दौरान CSA इनिशिएटिव से 19 राज्यों में लगभग 3.2 मिलियन एकड़ में 12 लाख किसानों को फायदा हुआ है और 2030 तक 40 लाख एकड़ का कवर करने का टारगेट है.
12 राज्यों के 7000 गांवों को क्लाईमेट स्मार्ट बनाने की पहल
अपने मुख्य एग्रीकल्चर कैचमेंट में ITC गांवों को क्लाइमेट स्मार्ट विलेज (CSV) में बदलने के लिए भी काम कर रहा है, जो आज 12 राज्यों के 7,000 गांवों को कवर करता है. इसका मकसद चार मुख्य पिलर पर बने फ्रेमवर्क के ज़रिए क्लाइमेट चेंज के प्रति गांवों की रेजिलिएंस को बढ़ाने के लिए एक होलिस्टिक अप्रोच को बढ़ावा देना है. क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर, नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट, लाइवलीहुड डाइवर्सिफिकेशन और इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट.
मिट्टी के ऑर्गेनिक कार्बन को बेहतर बनाना उद्देश्य
मिट्टी की हेल्थ को खेती के लिए जरूरी मानते हुए ITC टैंक सिल्ट एप्लीकेशन, कम्पोस्ट और टॉयलेट खाद, ज़ीरो टिलेज, हैप्पी सीडर और सरफेस सीडिंग, साइट-स्पेसिफिक न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट, रीजन-स्पेसिफिक मिट्टी की फर्टिलिटी मैपिंग, और बायोफर्टिलाइज़र को बढ़ावा देने और कैचमेंट ट्रीटमेंट जैसी पहलों के ज़रिए मिट्टी की हेल्थ को बेहतर बनाने पर काम करता है, जिसका मकसद मिट्टी के ऑर्गेनिक कार्बन (SOC) को बेहतर बनाना है.
18 लाख महिलाओं को मॉडर्न कृषि से जोड़ने में मदद मिली
ITC खेती और उससे जुड़ी आजीविका में महिलाओं को भी सपोर्ट करता है, पैदावार और इनकम बढ़ाने के लिए CSA प्रैक्टिस को बढ़ावा देता है. महिला किसान फील्ड स्कूल, कृषि सखी और महिला एग्री बिज़नेस सेंटर जैसे खास इंटरवेंशन खेती में महिलाओं में रेजिलिएंस बढ़ाते हैं. कंपनी ने 2024-25 के दौरान 18 लाख से ज़्यादा महिलाओं को साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल बेस्ट प्रैक्टिस बताई हैं, जिससे एग्रीकल्चर में जेंडर इनक्लूसिविटी को बढ़ावा देते हुए एग्रीकल्चर वैल्यू चेन में लचीलापन मजबूत हुआ है.
के एग्रीकल्चर ट्रांसफॉर्मेशन में योगदान
सेक्टर के अगले लक्ष्य को पाने के लिए ITC तीन तरीकों से नेक्स्टजेन एग्रीकल्चर ला रही है – ITCMAARS का लगातार विस्तार जो कंपनी की पायनियरिंग ‘फिजिटल’ पहल है. ITCMAARS इकोसिस्टम किसानों के लिए एफिशिएंसी, मार्केट एक्सेस और फाइनेंशियल इनक्लूजन में सुधार करते हुए एग्रीटेक अपनाने में तेजी लाता है. ITC की गांवों में गहरी मौजूदगी का फायदा उठाते हुए FPO छोटे किसानों को इकट्ठा करते हैं और फिज़िकल स्टेजिंग पॉइंट के तौर पर काम करते हैं, जिससे पर्सनलाइज़्ड, स्केलेबल सॉल्यूशन मिलते हैं जो किसानों की इनकम बढ़ाते हैं, सोर्सिंग एफिशिएंसी को मजबूत करते हैं.