त्योहारी सीजन के बीच देश में चीनी उत्पादन को लेकर एक अहम अपडेट सामने आया है. खाद्य मंत्रालय के अनुसार, इस साल भारत में कुल चीनी उत्पादन लगभग 34 मिलियन टन रहने का अनुमान है. हालांकि, एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने का एक बड़ा हिस्सा इस्तेमाल होने के बाद, नेट चीनी उत्पादन करीब 30 मिलियन टन तक रह सकता है.
सरकार ने फिलहाल चीनी के निर्यात की अनुमति को लेकर सावधानीपूर्ण रुख अपनाया है. इसका कारण है, उत्पादन में कमी की आशंका, मौसम का असर और एथेनॉल में गन्ने की बढ़ती खपत.
सरकार का सतर्क रुख: “कोई जल्दबाजी नहीं”
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय चीनी के दाम स्थिर हैं, इसलिए सरकार किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है.
उन्होंने कहा, “पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच उत्पादन में गिरावट देखी गई थी. इस बार भी कुछ राज्यों में गन्ने की पैदावार और रिकवरी रेट कम हो सकता है, इसलिए हमें स्थिति को ध्यान से देखना होगा.”
भारत में चीनी की वार्षिक खपत लगभग 28.5 मिलियन टन होती है. पिछले साल की तुलना में इस बार उत्पादन थोड़ा बेहतर रहने की उम्मीद है, लेकिन एथेनॉल निर्माण में करीब 4 मिलियन टन चीनी का इस्तेमाल हो सकता है.
कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट का इंतजार
खाद्य मंत्रालय ने साफ किया है कि कृषि मंत्रालय की गन्ना उत्पादन पर आधिकारिक रिपोर्ट आने के बाद ही किसी तरह का बड़ा फैसला लिया जाएगा. यह रिपोर्ट नवंबर के पहले हफ्ते में आने की संभावना है.
वहीं, अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि भारत का चीनी उत्पादन 2025-26 में लगभग 35.3 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल से करीब 25 प्रतिशत अधिक है.
महाराष्ट्र-कर्नाटक में उम्मीद, लेकिन बारिश ने बढ़ाई चिंता
इस बार महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती का रकबा बढ़ा है, जिससे बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी. लेकिन सितंबर-अक्टूबर में भारी बारिश और जलभराव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.
महाराष्ट्र में लगभग 10 मिलियन टन गन्ने पर असर पड़ सकता है, जिसके चलते राज्य की सहकारी चीनी मिल संघ ने प्रति हेक्टेयर उपज का अनुमान 82 टन से घटाकर 74 टन कर दिया है.
फिर भी मिल मालिकों का कहना है कि इस साल लगभग 120 मिलियन टन गन्ना पेराई के लिए उपलब्ध रहेगा, जो पिछले साल के 85 मिलियन टन से कहीं ज्यादा है.
फैक्ट्रियों की शुरुआत में देरी, निर्यात पर रोक संभव
सरकार ने पहले ही अक्टूबर की शुरुआत में शुगर मिलों को जल्द पेराई शुरू करने का अनुरोध किया था, लेकिन अधिकांश फैक्ट्रियां अब नवंबर से ही उत्पादन शुरू करेंगी.
उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल निर्यात पर कोई जल्द फैसला लेना सही नहीं होगा. आने वाले 3–4 महीने मौसम और फसल की स्थिति पर नजर रखने के लिए बेहद अहम हैं.
अगर उत्पादन अनुमान सही रहा, तो भारत के पास 1.5 से 2 मिलियन टन तक का निर्यात योग्य स्टॉक बच सकता है.