महाराष्ट्र में पिछले कुछ हफ्तों में हुई प्री-मॉनसून बारिश ने प्याज की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. राज्य कृषि विभाग की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, 5 मई से 21 मई के बीच नासिक जिले में बेमौसम बारिश से 3,000 हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में प्याज की फसल बर्बाद हुई है. प्याज किसानों का कहना है कि अगर बारिश 15 दिन बाद आती, तो सैकड़ों क्विंटल प्याज बच सकती थी. वहीं, प्याज के मंडी रेट में भी 60 फीसदी तक की गिरावट आई है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साढ़े तीन महीनों में प्याज के थोक दामों में करीब 60 फीसदी की गिरावट आई है. 14 फरवरी को जहां प्याज का औसत थोक भाव 3,100 प्रति क्विंटल था, अब यह घटकर सिर्फ 1,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. इसकी वजह है मांग की तुलना में सप्लाई का बढ़ना है.
प्याज का ताजा मंडी रेट
इस साल 1 अप्रैल को केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगाई गई 20 फीसदी ड्यूटी हटा दी थी. इसके बावजूद, थोक बाजार में प्याज के औसत दाम 1,050 रुपये से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच ही बने हुए हैं. फिलहाल देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव एपीएमसी में प्याज का औसत थोक दाम 1,200 रुपये प्रति क्विंटल है. यहां न्यूनतम भाव 600 रुपये और अधिकतम 1,612 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है.
11 एकड़ प्याज की फसल खराब
वहीं, मालेगांव के किसान गोकुलसिंह शिसोड़े ने कहा है कि बारिश से उनकी 11 एकड़ प्याज की फसल खराब हो गई. इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. एक और किसान, श्रीराम दराड़े (इंदापुर) ने कहा कि उन्होंने 4 एकड़ खेत से प्याज की फसल निकालकर पेड़ों के नीचे ढेर लगाकर रखी थी. लेकिन तेज बारिश की वजह से वो प्याज भी नहीं बचा पाए और सारी फसल सड़ गई. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि मई महीने में ऐसी बारिश कभी नहीं देखी.
इन जिलों में प्याज की ज्यादा बर्बादी
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि राज्य के प्याज उगाने वाले कई इलाके कोंकण, नासिक, पुणे, कोल्हापुर, छत्रपति संभाजीनगर, जलगांव, अमरावती और नागपुर में 6 मई से ही भारी और बेमौसम बारिश हो रही है. कई किसानों ने कटाई के बाद प्याज को अस्थायी जगहों पर रखा था, लेकिन बारिश ने वहां भी नुकसान पहुंचाया. भरत दिघोले ने कहा कि अभी तक कुल नुकसान का सही अंदाजा नहीं लग पाया है, लेकिन इस बार की प्याज फसल का कम से कम 5 से 10 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो चुका है.