पिता यूरिया के लिए लाइन में, बेटा खेत में.. फिर भी नहीं मिल रही खाद! किसानों का टूटा हौसला

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में किसानों को यूरिया खाद नहीं मिल रही. पसगवां ब्लॉक के औरंगाबाद बी-पैक्स केंद्र पर हर दिन लंबी लाइनें लग रही हैं. कई किसान रोज खाली हाथ लौटते हैं.

मोहित शुक्ला
नोएडा | Updated On: 7 Jul, 2025 | 07:44 PM

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में जुलाई की गर्म सुबह है. पसगवां ब्लॉक के औरंगाबाद बी-पैक्स केंद्र पर किसानों की लंबी लाइन लगी है. कोई सिर पर गमछा डाले हुए है तो कोई खाली बोरी लेकर खड़ा है. सबको उम्मीद है कि आज यूरिया मिल जाएगी, ताकि खेत में खड़ी धान और गन्ने की फसल बच सके. लेकिन कई दिनों से हालत एक जैसी है. खाद कम है और किसानों की भीड़ ज्यादा. हर रोज कोई ना कोई मायूस लौटता है. खेती के लिए जरूरी चीज ही नहीं मिल रही है. किसान कह रहे हैं कि अब खेती करना रोज की लड़ाई बन गई है.

बूढ़े बाप को लाइन में लगाया, फिर भी नहीं मिली खाद

कठकोरवा गांव के किसान गुरजीत सिंह ने किसान इंडिया से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने बारह एकड़ खेत में धान की रोपाई कर दी है, लेकिन यूरिया खाद  नहीं मिल रही. बोले मैं खुद लाइन में लगता हूं और अपने बूढ़े, बीमार पिता जरनैल सिंह को भी साथ लाना पड़ता है. इसके बावजूद भी खाद नहीं मिलती. इतना ही नहीं प्राइवेट दुकानों पर माल नहीं है और जहां है, वहां मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं. नैनो यूरिया कोई असर नहीं कर रहा और दानेदार खाद तो मिल ही नहीं रही. अब तो ऐसा लगने लगा है कि खेती करना घाटे का सौदा बन गया है.

फसल गई तो घर भी डूबेगा… कैसे संभालें जिंदगी?

गुरजीत सिंह का कहना है कि बीज महंगा हो गया, मजदूरी भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है. ऊपर से कर्ज और बच्चों की फीस भी देनी है, ऐसे में घर कैसे चले? गुरजीत सिंह की बातों में गुस्सा भी है और मायूसी भी. वो बताते हैं कि अगर समय पर खाद नहीं मिली तो फसल चौपट हो जाएगी. फिर न बैंक का कर्ज चुकाया जाएगा, न घर का खर्च चलेगा और न ही बच्चों की पढ़ाई हो पाएगी. सब कुछ बर्बाद हो जाएगा.

Lakhimpur farmers

खाद न मिलने पर निराश होकर लौटते किसान

खाद के इंतजार में कमजोर हो रही है फसल

किसान अमरिंदर सिंह ने बताया कि वो पिछले एक हफ्ते से बी-पैक्स के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन आज तक खाद नहीं मिली. उनके पास सिर्फ दो एकड़ जमीन है, जिसमें गन्ना बोया है. लेकिन बिना खाद के फसल कमजोर होती जा रही है. यही नहीं, प्राइवेट दुकानों पर खाद है ही नहीं है और सरकारी समितियों पर जितनी बोरी आती है, उससे कई गुना ज्यादा किसान लाइन में खड़े मिलते हैं.

प्रशासन के दावे और किसानों की हकीकत

सहकारिता विभाग के सहायक निबंधक रजनीश प्रताप सिंह ने बताया कि जिले की 129 बी-पैक्स समितियों पर लगातार खाद भेजी जा रही है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि मैं खुद फील्ड में गया था. औरंगाबाद समिति में 600 बोरी खाद आई थी, जिसे किसानों में बांट दिया गया. वहां भीड़ इसलिए लगी क्योंकि मांग बहुत ज्यादा है. उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में गोला रैक पॉइंट पर 2674 मीट्रिक टन यूरिया खाद पहुंची है, जिसे जल्द ही सभी समितियों में भेजा जाएगा.

खुदरा कृषि व्यापारी संघ के अध्यक्ष संदीप कुमार शुक्ला ने बताया कि हमने खाद की कमी को लेकर जिला कृषि अधिकारी से बात की है, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला. अगर दो दिन के अंदर समस्या दूर नहीं हुई तो किसान और व्यापारी मिलकर आंदोलन करेंगे,

प्राइवेट दुकानों के लिए अब तक नहीं पहुंची खाद -सूर्यप्रताप सिंह

जिला कृषि अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह ने बताया कि जिले की सभी समितियों पर लगातार खाद भेजी जा रही है. उन्होंने कहा कि हर समिति पर पर्याप्त खाद उपलब्ध है और वितरण का काम ठीक से चल रहा है. जहां-जहां खाद पहुंची है, वहां कृषि विभाग के कर्मचारी लगाकर किसानों को बोरी बांटी जा रही है. हालांकि, अभी तक निजी दुकानों के लिए खाद की कोई रैक नहीं आई है, इसलिए वहां सप्लाई नहीं हो पा रही है.

लेखक मोहित शुक्ला स्वतंत्र पत्रकार हैं

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Published: 7 Jul, 2025 | 07:43 PM

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