विदेशी काली मिर्च से बढ़ी घरेलू किसानों की मुश्किलें, व्यापारियों ने सरकार से की अहम मांग

श्रीलंका और वियतनाम जैसे देशों से बड़ी मात्रा में काली मिर्च भारत आ रही है. ये मिर्च इतनी सस्ती है कि भारतीय किसानों की उपज उससे मुकाबला नहीं कर पा रही.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 19 May, 2025 | 12:00 PM

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके किचन में इस्तेमाल होने वाली काली मिर्च की कीमतें क्यों घट रही हैं? और इसका असर हमारे देश के किसानों पर कैसे पड़ रहा है? दरअसल, भारत में विदेशों से सस्ती काली मिर्च का आयात लगातार बढ़ रहा है. इससे एक तरफ घरेलू किसानों को नुकसान हो रहा है, वहीं मसाला कंपनियां इस सस्ती मिर्च को हाथों-हाथ खरीद रही हैं. अब व्यापारी और विशेषज्ञ चाहते हैं कि सरकार इस पर सख्त कदम उठाए, ताकि भारतीय किसान टिके रह सकें और उन्हें उनका हक मिल सके.

काली मिर्च के दाम गिरे

श्रीलंका और वियतनाम जैसे देशों से बड़ी मात्रा में काली मिर्च भारत आ रही है. ये मिर्च इतनी सस्ती है कि भारतीय किसानों की उपज उससे मुकाबला नहीं कर पा रही. उदाहरण के तौर पर, श्रीलंका से आयात की गई मिर्च भारतीय बंदरगाहों पर सिर्फ ₹650 प्रति किलो में पहुंच रही है और बाजार में ₹675 में बिक रही है. वहीं, भारत की मिर्च अब भी करीब ₹700 प्रति किलो बिक रही है, हालांकि पिछले कुछ हफ्तों में इसकी कीमतों में 5% तक गिरावट आई है.

व्यापारियों की मांग

व्यापारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय किसानों को बचाने के लिए सरकार को विदेशों से होने वाले काली मिर्च के आयात पर सख्त नीति अपनानी चाहिए. श्रीलंका और अन्य देशों के साथ हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की दोबारा समीक्षा जरूरी है. इसके साथ ही, सरकार को मिर्च के लिए न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) तय करना चाहिए, ताकि सस्ती विदेशी मिर्च घरेलू बाजार को नुकसान न पहुंचाए. साथ ही, आयात पर निगरानी बढ़ाकर पारदर्शिता लाई जा सकती है और भारतीय मिर्च को वैश्विक बाजार में आगे बढ़ाया जा सकता है. किसानों को अच्छी गुणवत्ता और उत्पादन के लिए प्रेरित करना भी जरूरी है.

भारतीय मिर्च की गुणवत्ता बेहतर

वैश्विक स्तर पर भारत की काली मिर्च को प्रीमियम माना जाता है. भारतीय मिर्च की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग $8,650 प्रति टन है, जो कि श्रीलंका, वियतनाम, ब्राजील और इंडोनेशिया की तुलना में कहीं अधिक है. लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत का काली मिर्च उत्पादन गिरकर 75,000 टन पर आ गया है, जबकि पिछले साल यह 1.26 लाख टन था. इसके उलट, श्रीलंका से आयात इस साल बढ़कर 24,000 टन हो गया है जो कि पिछले साल 14,000 टन था.

निर्यात बढ़ा, लेकिन किसान अब भी संकट में

हालांकि भारत का काली मिर्च निर्यात अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक भारत ने करीब 19,000 टन काली मिर्च का निर्यात किया, जिसकी कीमत लगभग $80.23 मिलियन रही. यह पिछले साल की तुलना में 18 फीसदी ज्यादा मात्रा और 40 फीसदी ज्यादा मूल्य है.

भारत में हर साल लगभग 60,000 टन काली मिर्च की खपत होती है और ये मांग लगातार बढ़ रही है खासतौर पर स्वास्थ्य और औषधीय उपयोगों के कारण. लेकिन अगर आयात यूं ही बढ़ता रहा और सरकार ने समय पर कदम नहीं उठाए, तो घरेलू किसान लगातार नुकसान उठाते रहेंगे.

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