फसलों की अच्छी ग्रोथ और पैदावार के लिए किसान तरह-तरह के उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं. जिनकी मदद से फसलों को सही और जरूरी पोषण पर्याप्त मात्रा में मिलता है. वैसे तो बाजार में बहुत से कीटनाशक और उर्वरक उपलब्ध हैं जो पौधों के अच्छे विकास में मदद करते हैं लेकिन आज हम बात करने वाले हैं इफको के उर्वरक सागरिका गोल्ड की जो कि समुद्र में रहने वाले छोटे-छोटे जीवों से बना है. बता दें कि यह उर्वरक हर तरह से पौधे को सही पोषण देता है.
कैसे काम करता है सागरिका गोल्ड
इफको द्वारा बनाया गया सागरिका गोल्ड एक जैविक बायो- स्टिमुलेंट है. इसे समुद्र में रहने वाले लाल और भूरे रंग के शैवाल यानी समुद्र में रहने वाले छोटो-छोटे जीवों से बनाया गया है. इस उर्वरक में प्राकृतिक पौधों के विकास में काम आने वाले तत्व भी मौजूद हैं. इसमें बायो-पोटाश, जिंक, कैल्शियम, बोरॉन, मैग्नीशियम और सल्फर जैसे तत्प मौजूद हैं. इसके इस्तेमाल से मिट्टी की संरचना और उर्वरता में सुधार होता है. इसके साथ ही पर्यावरण के कारण पौधों को होने वाले स्ट्रेस से निपटने के लिए पौधों की सहनशीलता बढ़ाता है.

IFFCO Sagarika Gold
ऐसे करें इस उर्वरक का इस्तेमाल
पत्तियों पर छिड़काव करन के लिए सागरिका गोल्ड का 2.5 से 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाएं. इस घोल का छिड़काव फसल लगाने से पहले , फूल आने से पहले और फूल आने के बाद करें. इसके इस्तेमाल के लिए सुबह का समय सबसे बेस्ट होता है. मिट्टी में इस उर्वरक का इस्तेमाल करने के लिए 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करें. अच्छे परिणाम के लिए इस उर्वरक को मिट्टी में बुवाई के समय और बुवाई के 15-20 दिन बाद मिट्टी में मिलाएं.
सागरिका गोल्ड के फायदे
सागरिका गोल्ड के इस्तेमाल से पौधों में नई शाखाओं का विकास होता है. साथ ही फलों में भी वृद्धि होती है. ये पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. कपास की खेती में इसका इस्तेमाल करन से उपज में 28 फीसदी तक बढ़ोतरी होती है. इसके साथ ही फसलों में इसके इस्तेमाल के लिए केमिकल कीटनाशकों और खादों के इस्तेमाल में भी कमी आती है. किसान चाहें तो अपने नजदीकी इफको बाजार केंद्र से इसे खरीद सकते हैं.