मूसलधार बारिश से खेतों में जलभराव, कटाई के लिए तैयार फसल के दाने हुए अंकुरित

दक्षिण गोवा में लगातार बारिश ने पकने को तैयार धान की फसल को बर्बाद कर दिया है. जलभराव से अनाज अंकुरित हो गया और चारा भी सड़ गया.

नोएडा | Updated On: 1 Jun, 2025 | 03:58 PM

दक्षिण गोवा के कई हिस्सों में किसान भारी बारिश से परेशान हैं. लगातार चार दिनों की मूसलधार बारिश ने उनकी पकने के कगार पर खड़ी धान की फसल बर्बाद कर दी. बारिश का आलम यह है कि खेतों में जलभराव हो गया, जिससे किसान अपनी फसल तक पहुंच भी नहीं पा रहे हैं. ऐसे में किसानों का नुकसान डर और बढ़ता ही जा रहा है. क्योंकि जमीन पर बिछली धान की फसल के दाने अब नमी के कारण अंकुरित होने लगे हैं.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि बारिश ने किसान के मुंह तक आया निवाला छीन लिया. महीनों की मेहनत के बाद पककर तैयार खड़ी फसल अधिक नमी के कारण अंकुरित होने लगी, जिससे उसका बाजार मूल्य खत्म हो गया. यानी व्यापारी अब अंकुरित धानों की खरीद नहीं करेंगे. खास बात यह है कि सिर्फ अनाज ही नहीं, मवेशियों के लिए जरूरी चारा यानी धान का पुआल भी पानी में सड़ गया. इससे किसानों को दोहरा झटका लगा है, क्योंकि उनकी आजीविका खेती के साथ-साथ पशुपालन पर भी निर्भर है.

प्री-मानसून बारिश से सबसे ज्यादा खतरा

किसानों ने कहा कि ऐसे मुश्किल समय में कृषि विभाग की ओर से मिलने वाला मुआवजा उनकी परेशानियों को और बढ़ा देता है. अंबाउलिम, केपे के एक किसान ने कहा कि जो आर्थिक मदद दी जाती है, वह हमारी फसल की लागत भी पूरी नहीं कर पाती. किसानों ने यह भी कहा कि रबी सीजन की खेती के लिए सिंचाई का पानी समय पर नहीं मिलने से उन्हें खेत की तैयारी और रोपाई जनवरी के अंत तक टालनी पड़ती है. इससे फसल मई में पकती है, जब प्री-मानसून बारिश सबसे बड़ा खतरा बन जाती है. संगेम के उगुएम गांव के एक किसान ने कहा कि अगर सिंचाई विभाग दिसंबर की शुरुआत में पानी छोड़ दे, तो फसल मई की शुरुआत तक तैयार हो सकती है.

ओडिशा में भी फसल की बर्बादी

वहीं ओडिशा में भी बारिश से धान की बर्बादी हुई है. खास कर संबलपुर जिले में धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसान काफी परेशान हैं. बारिश के चलते खेतों में खड़ी फसल पानी में डूब गई है. जबकि जो फसल काटी गई थी वह भी खुले में पड़ी होने के कारण सूख नहीं पा रही है. इससे किसानों के लिए अपनी उपज को बचाना मुश्किल हो गया है.

Published: 1 Jun, 2025 | 03:55 PM