भारत सरकार ने शुक्रवार को जून महीने के लिए घरेलू बाजार में चीनी बिक्री के लिए 23 लाख टन चीनी कोटा जारी किया है. यह पिछले साल की तुलना में 2.5 लाख टन यानी 9.8 फीसदी कम है. इस फैसले से संकेत मिलता है कि 2024-25 की चीनी सीजन (अक्टूबर से सितंबर) में देश की चीनी खपत घटकर 280 लाख टन से कम हो सकती है, जबकि 2023-24 में यह रिकॉर्ड 290.5 लाख टन थी. खाद्य मंत्रालय द्वारा जारी मासिक चीनी कोटा आदेश के अनुसार, 31 मई तक देश में अनुमानित चीनी स्टॉक 134.3 लाख टन हो सकता है. यह आंकड़ा मिलों द्वारा दी गई उत्पादन जानकारी और अब तक घरेलू बिक्री व निर्यात के लिए जारी कोटे पर आधारित है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा उद्योग का अनुमान है कि तमिलनाडु और कर्नाटक की मिलें विशेष सीजन (अब से 30 सितंबर तक) में 4 से 5 लाख टन और चीनी का उत्पादन कर सकती हैं. इस तरह मौजूदा सीजन के बचे हुए चार महीनों में कुल उपलब्धता अधिकतम 139.3 लाख टन हो सकती है. दूसरी ओर, कोटा प्रणाली के अनुसार जून से सितंबर के बीच चीनी की खपत कम से कम 91 लाख टन हो सकती है, जिसमें जून का 23 लाख टन कोटा भी शामिल है. ऐसे में इस सीजन के अंत तक चीनी का स्टॉक 50 लाख टन से कम रह सकता है. यह स्टॉक अगले सीजन के अक्टूबर-नवंबर त्योहारों की मांग के बराबर या उससे थोड़ा कम हो सकता है, ऐसा उद्योग विशेषज्ञों का मानना है.
देश में चीनी की कुल खपत 277 लाख टन
एक चीनी कंपनी के अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि पिछले सीजन में आम चुनावों के कारण चीनी की मांग ज्यादा थी. इस बार खपत में गिरावट की उम्मीद पहले से ही थी. संभव है कि इस बार गर्मियों की सामान्य मांग कम रही हो क्योंकि देश के कई हिस्सों में बार-बार बारिश हुई. पिछले साल जुलाई से सितंबर तक 69.5 लाख टन का कोटा जारी हुआ था, और इस साल अक्टूबर 2024 से जून 2025 के बीच अब तक कुल 207.5 लाख टन का आवंटन हो चुका है. इन आंकड़ों को देखते हुए इस सीजन की कुल खपत लगभग 275 से 277 लाख टन के आसपास मानी जा सकती है.
2025-26 के सीजन में भारी उत्पादन की संभावना
ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन (AISTA) के चेयरमैन प्रफुल्ल विथलानी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें कम होने, निर्यात में नाकामी, जल्दी आए मानसून, 2025-26 के सीजन में भारी उत्पादन की संभावना और दिवाली इस बार अक्टूबर में जल्दी आने (आमतौर पर नवंबर में होती है) जैसे कारणों से बाजार में मंदी का माहौल है. नई सीजन की सप्लाई 7 नवंबर से शुरू होगी. उन्होंने कहा कि वस्तुओं की कीमतें बाजार की भावना पर आधारित होती हैं, लेकिन फिलहाल बाजार में यह भावना नहीं दिख रही क्योंकि कई कारण इस रुख के खिलाफ काम कर रहे हैं.
मई तक स्टॉक लगभग 53.1 लाख टन अनुमानित
उद्योग के सूत्रों के अनुसार, सरकार हर छह महीने में खपत के आंकड़ों का मिलान करती है और इस सीजन की खपत लगभग 285 लाख टन हो सकती है. साथ ही कुछ मिलें मासिक कोटे से ज्यादा चीनी बेच रही हैं. खाद्य मंत्रालय के मासिक कोटा आदेश के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की मिलों को 9.5 लाख टन चीनी का कोटा मिला है, जहां 31 मई तक स्टॉक लगभग 53.1 लाख टन अनुमानित है. महाराष्ट्र की मिलों को 6.8 लाख टन की अनुमति मिली है, जहां स्टॉक 42.1 लाख टन होने का अनुमान है. कर्नाटक की मिलों को 2.7 लाख टन का कोटा मिला है, और वहां स्टॉक 16.4 लाख टन दिख रहा है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक भारत के शीर्ष तीन चीनी उत्पादन वाले राज्य हैं, जो देश के कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बनाते हैं.