बेमौसम बारिश, आंधी, तूफान और ओलावृष्टि से केवल महाराष्ट्र में ही नहीं बागवानी फसलों को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि इससे तमिलनाडु के किसान भी पीड़ित हैं. कोयंबटूर जिले के तीथीपालयम और कुप्पनूर गांवों में बीते दिनों आई तेज आंधी में 15,000 से ज्यादा केले के पेड़ उखड़ गए. वहीं, पिछले हफ्ते अन्नूर तालुके के कई गांवों में आई आंधी से 60,000 से ज्यादा केले के पौधे नष्ट हो गए थे. यानी इस महीने आंधी-तूफान से कोयंबटूर जिले में 75,000 से ज्यादा केले के पौधे आंधी-तूफान से बर्बाद हो गए.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, फसल बर्बादी से किसानों को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हुआ है. किसानों ने शिकायत की है कि फसल नुकसान पर सरकार की मुआवजा राशि बहुत कम है. उनका कहना है कि सरकार प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये देती है, जो कि प्रति पौधा सिर्फ 6 रुपये बनता है, जबकि एक पौधे का नुकसान लगभग 800 रुपये का होता है. ऐसे में किसानों ने सरकार से फसल नुकसान के अनुसार आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.
किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए
तमिलनाडु विवासायिगल संगम के उपाध्यक्ष आर. पेरियासामी ने कहा कि किसानों को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि कई खेतों में कटाई के लिए तैयार केले की फसल आंधी में बर्बाद हो गई. बागवानी और राजस्व विभाग के अधिकारियों को खुद प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करना चाहिए और आपदा प्रबंधन फंड से किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए.
केले के घौद की कीमत 750 से 800 रुपये
उन्होंने आगे कहा कि बागवानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार का आदेश है कि आपदा प्रबंधन फंड से सिर्फ 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जा सकता है. जबकि नर्सरी में एक केले के पौधे की कीमत 25 रुपये है और किसान इसकी रोपाई व देखभाल में लगभग 300 रुपये खर्च करते हैं. फिलहाल बाजार में एक केले के घौद (bunch) की कीमत 750 से 800 रुपये तक है. बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मुआवजा राशि बढ़ाना सरकार का नीतिगत फैसला होता है. हम किसानों की मांग को सरकार तक सिफारिश के तौर पर भेज सकते हैं.
3,000 हेक्टेयर में प्याज की फसल बर्बाद
बता दें कि महाराष्ट्र में प्री-मॉनसून बारिश ने प्याज की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. राज्य कृषि विभाग की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, 5 मई से 21 मई के बीच नासिक जिले में बेमौसम बारिश से 3,000 हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में प्याज की फसल बर्बाद हुई है. प्याज किसानों का कहना है कि अगर बारिश 15 दिन बाद आती, तो सैकड़ों क्विंटल प्याज बच सकती थी.