उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह कोई नई योजना नहीं है, बल्कि एक पुरानी और प्रभावी पहल है, जो लंबे समय से फसलों को कीट और रोगों से बचाने में मदद कर रही है. दरअसल राज्य सरकार कीट/रोग नियंत्रण योजना के तहत किसानों को बायोपेस्टीसाइड, बीजशोधन रसायन और कृषि यंत्रों पर 50 से 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है. योजना का मकसद है कि किसान कम लागत में सुरक्षित और टिकाऊ तरीके से खेती कर सकें.
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका लाभ सीमांत, लघु, अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला किसानों को प्राथमिकता के आधार पर मिलता है. सरकार अब किसानों को इस योजना के प्रति ज्यादा जागरूक करने और उन्हें अधिक सक्षम बनाने पर जोर भी दे रही है.
किसानों को क्या फायदा पहुंचाना चाहती है ये योजना?
उत्तर प्रदेश सरकार की कीट/रोग नियंत्रण योजना का मकसद है कि किसानों को सुरक्षित और कम खर्चीले विकल्प उपलब्ध कराए जाएं ताकि वो कीट और रोग से अपनी फसलों की रक्षा कर सकें. इसके तहत बायोपेस्टीसाइड्स और बायोएजेंट्स जैसे प्राकृतिक उपायों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक, सरकार ने लाल श्रेणी यानी सबसे जहरीले रसायनों को योजना से बाहर कर दिया है. जो कि अब केवल कम जहरीले और सुरक्षित विकल्पों पर ही अनुदान दिया जा रहा है. हालांकि चूहा नियंत्रण और अनाज भंडारण के लिए जिन रसायनों का अभी कोई विकल्प नहीं है, उन पर पहले की तरह अनुदान मिलता रहेगा.
बीजशोधन कार्यक्रम को भी इस योजना का अहम हिस्सा बनाया गया है ताकि बीजों को पहले से सुरक्षित बनाकर रोगों की संभावना कम की जा सके. साथ ही एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) जैसी आधुनिक प्रणाली को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.
किसे मिलेगा योजना का लाभ?
यह योजना पूरे उत्तर प्रदेश में लागू है और इसमें हर वर्ग के किसानों को शामिल किया गया है. खासकर लघु, सीमांत, अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला किसानों को योजना के तहत प्राथमिकता दी जाती है. योजना के तहत विकासखंड स्तर पर कृषि रक्षा इकाई बनाई गई है, जो किसानों को अनुदान और सामग्री वितरण का काम करती है.
खेती बचाने वाले रसायन और यंत्रों पर 75 फीसदी तक अनुदान
इस योजना के तहत किसानों को कीट और रोग नियंत्रण से जुड़ी कई जरूरी चीजों पर अनुदान दिया जाता है. बायोपेस्टीसाइड्स और बायोएजेंट्स पर 75 फीसदी सब्सिडी दी जाती है, जिसकी अधिकतम सीमा 500 रुपये प्रति हेक्टेयर है. इसके अलावा, बीजशोधन रसायनों पर भी 75 फीसदी अनुदान मिलता है, जिसकी सीमा 150 रुपये प्रति हेक्टेयर तय की गई है. वहीं, कृषि रक्षा रसायनों के लिए 50 फीसदी तक की छूट दी जा रही है, जिसकी अधिकतम राशि 500 रुपये प्रति हेक्टेयर है.
इतना ही नहीं कृषि यंत्रों पर भी किसानों को बड़ी राहत दी जा रही है. मानव चालित यंत्रों पर 50 फीसदी अनुदान के तहत अधिकतम 1500 रुपये और शक्ति चालित यंत्रों पर 3000 रुपये तक की सब्सिडी मिलती है. इसके अलावा, अनाज भंडारण के लिए 5, 3 और 2 क्विंटल क्षमता की बखारी पर भी 50 फीसदी अनुदान दिया जाता है, जिसकी अधिकतम सीमा 1500 रुपये है.
अगर किसी क्षेत्र में कीट या रोग का प्रकोप महामारी (एपिडेमिक) या आउटब्रेक के रूप में फैलता है तो उस स्थिति में अनुदान तत्काल प्रभाव से दिया जाता है.