Wheat Farming : रबी सीजन में गेहूं और जौ किसानों की आमदनी की बड़ी उम्मीद होते हैं, लेकिन खेत में उगने वाले खरपतवार और दीमक इस उम्मीद पर पानी फेर सकते हैं. कई बार फसल अच्छी होती है, फिर भी उपज कम रह जाती है, जिसकी बड़ी वजह समय पर खरपतवार और कीट नियंत्रण न होना है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर किसान सही समय पर सही तरीके अपनाएं, तो इन दोनों समस्याओं से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है और उत्पादन में साफ बढ़ोतरी देखी जा सकती है.
गेहूं की फसल में खरपतवार क्यों बनते हैं नुकसान का कारण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गेहूं की फसल में बुवाई के करीब 30 से 35 दिन बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार तेजी से उभरने लगते हैं. ये खरपतवार फसल के साथ ही पोषक तत्व, पानी और धूप के लिए मुकाबला करने लगते हैं. इसका सीधा असर पौधों की बढ़वार पर पड़ता है और बालियां कमजोर रह जाती हैं. कई किसान इस समय खेत पर ध्यान नहीं देते, जिससे खरपतवार पूरी फसल में फैल जाते हैं और पैदावार में भारी गिरावट आ जाती है.
सही समय पर छिड़काव से होगा प्रभावी नियंत्रण
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए सही समय पर निंदानाशी दवाओं का छिड़काव बेहद जरूरी है. बुवाई के 30-40 दिन बाद 2,4-डी एस्टर या मेटासल्फुरान मिथाइल का उपयोग किया जा सकता है. दवा को तय मात्रा में पानी में घोलकर पूरे खेत में समान रूप से छिड़काव करना चाहिए. इस दौरान मौसम शांत होना चाहिए, ताकि दवा हवा में उड़कर बेकार न जाए. छिड़काव के बाद जरूरत से ज्यादा सिंचाई नहीं करनी चाहिए, वरना दवा का असर कम हो सकता है.
जौ की फसल में भी रखें खास ध्यान
जौ की फसल में भी चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार उपज को नुकसान पहुंचाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जौ की बुवाई के लगभग 40 दिन बाद निंदानाशी दवा का प्रयोग करना फायदेमंद माना जाता है. इसके लिए 2,4-डी एस्टर साल्ट को तय मात्रा में पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. ध्यान रखें कि दवा पूरे खेत में समान रूप से पहुंचे. सही मात्रा और समय पर किए गए छिड़काव से खरपतवार पूरी तरह खत्म हो जाते हैं और फसल को कोई नुकसान नहीं होता.
दीमक से बचाव भी है उतना ही जरूरी
खरपतवार के साथ-साथ दीमक भी गेहूं और जौ की खड़ी फसल के लिए बड़ा खतरा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दीमक पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाकर उन्हें कमजोर कर देती है, जिससे पौधे सूखने लगते हैं. दीमक नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफोस दवा को सूखी मिट्टी में मिलाकर खेत में समान रूप से फैलाया जाता है. इसके बाद हल्की सिंचाई करने से दवा मिट्टी में अच्छी तरह समा जाती है और दीमक पर प्रभावी असर डालती है.
समय पर उपाय, ज्यादा उत्पादन
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर किसान समय पर खरपतवार और दीमक नियंत्रण के उपाय अपना लें, तो फसल सुरक्षित रहती है और उत्पादन में साफ बढ़ोतरी होती है. सही दवा, सही मात्रा और सही समय-इन तीन बातों का ध्यान रखने से न सिर्फ लागत बचती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है. कुल मिलाकर, थोड़ी सी सावधानी और सही जानकारी से गेहूं और जौ की खेती को ज्यादा लाभकारी बनाया जा सकता है.