Report: 2026 में यूरोप का अनाज उत्पादन घटने का अनुमान, गेहूं और जौ की पैदावार होगी कम

2026 में यूरोपीय यूनियन के 27 देशों और ब्रिटेन में कुल अनाज उत्पादन करीब 296.7 मिलियन टन रहने का अनुमान है. यह आंकड़ा 2025 में हुई 306.6 मिलियन टन की पैदावार से काफी कम है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस गिरावट की मुख्य वजह यह है कि बीते साल फसलों की पैदावार असाधारण रूप से अच्छी रही थी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 17 Dec, 2025 | 08:32 AM

COCERAL Forecast: यूरोप के किसानों और वैश्विक अनाज बाजार से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है. यूरोपीय अनाज व्यापार संगठन कोसेरल (COCERAL) ने साल 2026 के लिए अपने पहले अनुमान में कहा है कि यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन में अनाज उत्पादन में गिरावट देखने को मिल सकती है. यह गिरावट ऐसे समय सामने आ रही है, जब 2025 में रिकॉर्ड या उससे बेहतर पैदावार दर्ज की गई थी. विशेषज्ञों का मानना है कि असाधारण पैदावार के बाद अब उत्पादन का स्तर सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है.

2026 में कुल अनाज उत्पादन घटने का अनुमान

कोसेरल के अनुसार, 2026 में यूरोपीय यूनियन के 27 देशों और ब्रिटेन में कुल अनाज उत्पादन करीब 296.7 मिलियन टन रहने का अनुमान है. यह आंकड़ा 2025 में हुई 306.6 मिलियन टन की पैदावार से काफी कम है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस गिरावट की मुख्य वजह यह है कि बीते साल फसलों की पैदावार असाधारण रूप से अच्छी रही थी, जबकि 2026 में पैदावार सामान्य स्तर पर लौटने की संभावना है.

गेहूं उत्पादन में हल्की कमी

गेहूं, जो यूरोप की सबसे अहम अनाज फसल मानी जाती है, उसके उत्पादन में भी थोड़ी गिरावट का अनुमान लगाया गया है. ड्यूरम गेहूं को छोड़कर सामान्य गेहूं का उत्पादन 2026 में लगभग 143.9 मिलियन टन रह सकता है, जबकि 2025 में यह 147.5 मिलियन टन था. हालांकि राहत की बात यह है कि बीते कुछ महीनों में हुई बारिश से मिट्टी में नमी की स्थिति अच्छी बनी हुई है, जिससे सर्दियों से पहले फसलों की बढ़त संतोषजनक मानी जा रही है. बोआई क्षेत्र में भी मामूली बढ़ोतरी देखी गई है.

जौ की पैदावार पर भी असर

जौ उत्पादन में गिरावट और ज्यादा स्पष्ट नजर आ रही है. कोसेरल का अनुमान है कि 2026 में जौ की पैदावार घटकर 58.2 मिलियन टन रह सकती है, जबकि 2025 में यह 63.2 मिलियन टन थी. स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों में जौ उत्पादन में सबसे ज्यादा कमी आने की संभावना है. इसकी वजह यह बताई गई है कि 2025 में इन देशों में पैदावार बेहद अच्छी रही थी और अब सामान्य स्तर पर लौटने से आंकड़े कम दिखेंगे. इसके अलावा ब्रिटेन में जौ की खेती का रकबा भी घट सकता है.

मक्का में दिखेगी हल्की रिकवरी

मक्का उत्पादन को लेकर तस्वीर थोड़ी बेहतर नजर आती है. 2025 में सूखे की वजह से मक्का की फसल प्रभावित हुई थी, लेकिन 2026 में इससे कुछ उबरने की उम्मीद जताई गई है. कोसेरल के मुताबिक, 2026 में मक्का उत्पादन करीब 58.9 मिलियन टन रह सकता है, जो 2025 के 57.1 मिलियन टन से थोड़ा ज्यादा है. हालांकि, लंबे समय से लगातार कम पैदावार से निराश किसानों के कारण मक्का की खेती का रकबा घटता जा रहा है. खासकर बाल्कन देशों और फ्रांस में किसान सूरजमुखी और सोयाबीन जैसी दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.

तेलहन फसलों में स्थिरता

तेलहन फसलों की बात करें तो रेपसीड का उत्पादन 2026 में लगभग 21.8 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो 2025 के बराबर है. भले ही पैदावार सामान्य स्तर पर लौटे, लेकिन खेती का रकबा बढ़ने से उत्पादन स्थिर बना रह सकता है. अगस्त और सितंबर के दौरान रेपसीड के अच्छे दाम मिलने से किसानों का रुझान इसकी बोआई की ओर बढ़ा है.

बाजार पर क्या होगा असर

विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप में अनाज उत्पादन में यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतों को प्रभावित कर सकती है. खासकर गेहूं और जौ के दामों में हलचल देखने को मिल सकती है. कुल मिलाकर, 2026 का साल यूरोपीय अनाज बाजार के लिए संतुलन और बदलाव का दौर साबित हो सकता है, जहां किसान नई रणनीतियों के साथ आगे बढ़ते नजर आएंगे.

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