किराना व्यापारी से किसान बना यह शख्‍स अब ऑर्गेनिक फार्मिंग में कमा रहा सोना

आंध्र प्रदेश के 46 वर्षीय किराना व्यापारी से किसान बने येरेसी कोटी नागा रेड्डी को साल 2024 में ‘सर्वश्रेष्ठ प्रगतिशील प्राकृतिक/जैविक चावल उत्पादक किसान-2023’ के पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया था.

Kisan India
Agra | Published: 14 Mar, 2025 | 08:00 PM

आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के 46 वर्षीय किराना व्यापारी से किसान बने येरेसी कोटी नागा रेड्डी, मिसाल हैं उन तमाम किसानों के लिए जो हमेशा नए प्रयोग करने से हिचकते हैं. रेड्डी को साल 2024 में नई दिल्ली में प्रतिष्ठित ‘सर्वश्रेष्ठ प्रगतिशील प्राकृतिक/जैविक चावल उत्पादक किसान-2023’ के पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया था. उनकी यह पहचान चावल उत्पादन में पूर्ण जैविक खेती के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और नई कृषि रणनीतियों के कारण है. उन्‍हें यह प्रतिष्ठित पुरस्‍कार तब मिला जब रेड्डी खेती में एकदम नए थे लेकिन हमेशा नई चीजों को सीखने और प्रयोगों को करने में आगे रहे.

विरासत में मिली खेती-किसानी

न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दारसी शहर से 2 किमी दूर स्थित मुंडलमुरु मंडल के पुलीपाडु गांव में एक मीडिल क्‍लास किसान परिवार में जन्मे और पले-बढ़े नागी रेड्डी को खेती का जुनून अपने पिता कोटि रेड्डी (65) और पूर्वजों से विरासत में मिला. शिक्षा में संघर्ष करने और दसवीं कक्षा की परीक्षा में असफल होने और बाद में दारसी गवर्नमेंट कॉलेज में इंटरमीडिएट-सेरीकल्चर में वोकेशनल कोर्स के बावजूद, नागी रेड्डी ने एक व्यवसायिक यात्रा शुरू की. रेड्डी ने किराना की दुकान शुरू की जिसे बाद में दारसी शहर में ‘श्री लक्ष्मी साईं फैंसी एंड जनरल स्टोर्स’ के तौर पर आगे बढ़ाया.

शादी के बाद, उन्होंने अपने परिवार की खेती की पृष्ठभूमि से प्रेरित होकर पुलिपाडु गांव में अपनी जमीन पर खेती करने का काम शुरू किया. उन्होंने शुरुआत में कई तरह की फसलें उगाई. फसल की बीमारियों, कीटों और प्राकृतिक आपदाओं जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए उन्हें बहुत कम मुनाफा हुआ और कई बार बड़ा नुकसान भी हुआ.

साल 2013-14 में सूखा पड़ने के बाद स्थिति बदल गई, जब इस क्षेत्र के कई किसानों की तरह नागी रेड्डी को भी नागार्जुन सागर राइट कैनाल के अयाकट क्षेत्र में बारिश की कमी और पानी की कमी से जूझना पड़ा. इस संकट के दौरान, उन्होंने अपनी धान की फसल को बचाने की कोशिश की, रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का सहारा लिया, जिससे फसल को सफलतापूर्वक बचाया जा सका.

जब लिया एक बड़ा फैसला

हालांकि, एक चौंकाने वाली घटना तब हुई जब नागी रेड्डी से चावल खरीदने वाले एक पुलिस कांस्टेबल ने खाना बनाते समय उसमें से एक केमिकल की तेज गंध महसूस की. इससे नागी रेड्डी को खाद्यान्नों में कृषि रसायनों के संभावित खतरों और हेल्‍थ पर उनके प्रभाव को समझने में मदद मिली. यहां से उन्‍होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती में का एक बड़ा निर्णय लिया. इसके बाद फिर प्राकृतिक खेती के तरीकों का अध्ययन करना शुरू कर दिया.

वैज्ञानिकों से सीखी तकनीक

सुभाष पालेकर की मशहूर प्राकृतिक खेती तकनीकों को अपनाकर उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्रम (KVK) दारसी के वैज्ञानिकों और रिसर्चर्स से मदद मांगी. साल 2016 में, नागी रेड्डी ने अपनी 5 एकड़ जमीन पर धान की खेती के लिए पूरी तरह से प्राकृतिक खेती को अपनाया. फिर अगले पांच सालों में अपने कौशल को निखारा और लगातार मुनाफा कमाया. गौरतलब है कि उन्होंने ‘ऑर्गेनिक चावल’ के लिए अपना बाजार भी स्थापित किया और आज यह आसपास के लोगों को फेवरिट बाजार बन गया है.

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Published: 14 Mar, 2025 | 08:00 PM

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