Lack Of Rain: गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में भारी बारिश से खेतों में जलभरवा हो गया है, जिससे फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. लेकिन बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में धान की फसल बारिश में अभाव में सूख रही है. कई दिनों से बारिश न होने के चलते खेतों में दरारें पड़ गई हैं. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि अगर समय रहते बारिश नहीं होगी, तो पूरी फसल झुलस जाएगी.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी चंपारण जिले में बारिश कम होने की वजह से धान की बुआई पर बुरा असर पड़ा है. जिला कृषि पदाधिकारी (DAO) मनीष कुमार का कहना है कि अब तक सिर्फ 60 फीसदी धान की रोपाई हो पाई है और जो पौधे लगाए गए हैं, वे भी पानी की कमी के कारण मुरझाने लगे हैं. किसान संघर्ष समिति के सचिव ललन राय ने कहा कि जिले के 27 में से 18 प्रखंडों की स्थिति काफी गंभीर है.
सूख रहे हैं खेतों में लगे पौधे
उन्होंने कहा कि पटाही, मेहसी, चिरैया, चकिया, पकड़ीदयाल, सिगौली, पहाड़पुर और ढाका जैसे इलाकों में धान की फसल पर बुरा असर पड़ा है. उन्होंने कहा कि अघानी धान की फसलें मरने की कगार पर हैं और खेतों में लगे पौधे सूख रहे हैं. वहीं क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों का कहना है कि बारिश कम होने से खेतों में दरारें पड़ गई हैं. किसान अपनी फसल बचाने के लिए निजी ट्यूबवेल का सहारा ले रहे हैं.
सिंचाई के लिए नहीं है नहर की सुविधा
एक अन्य किसान ने कहा कि सरकारी ट्यूबवेल, नहर प्रणाली और अन्य छोटे सिंचाई साधन इस स्थिति से निपटने में नाकाम साबित हो रहे हैं. लगभग 18 प्रखंडों में सिंचाई के लिए नहरों की सुविधा नहीं है. ऐसे में सीमांत और छोटी जोत वाले किसान सिंचाई के लिए केवल बारिश पर ही निर्भर रहते हैं. यदि समय पर बारिश होती है, तो फसल अच्छी होती है, यदि नहीं हुई तो समझो नुकसान.
टैंकरों से घर-घर पानी की आपूर्ति
खास बात यह है कि समृद्ध किसानों की सिंचाई पूरी तरह से निजी ट्यूबवेल पर निर्भर हो गई है. इस बीच जिले के लगभग सभी ग्रामीण और शहरी इलाकों में हैंडपंप सूख गए हैं और भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है. मोतिहारी, रक्सौल, अरराज और ढाका जैसे शहरों में भी पीने के पानी की गंभीर समस्या हो गई है. जिलाधिकारी (DM) सौरभ जोरवाल का कहना है कि PHED विभाग की ओर से गांवों में हर दिन टैंकरों के माध्यम से पीने का पानी पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि छौड़ादानो प्रखंड में हालात और भी खराब हैं, जहां कुछ NGO टैंकरों से घर-घर पानी की आपूर्ति कर रहे हैं.