पहाड़ों में पल रहा रोजगार का नया भविष्य, उत्तराखंड के गांवों में पशुपालन बना रोजगार की राह

Animal Husbandry In Uttarakhand: उत्तराखंड में सीमित खेती योग्य भूमि के कारण पशुपालन ग्रामीणों के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता का प्रमुख स्रोत बन रहा है. हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा में इस विषय पर केंद्र सरकार से जानकारी मांगी.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 5 Aug, 2025 | 05:30 PM

उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में जहां खेती की जमीन सीमित है, वहां पशुपालन ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता का मजबूत जरिया बन रहा है. इसी विषय पर हरिद्वार के सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा में सवाल उठाया. उन्होंने जानना चाहा कि पशुपालन को आत्मनिर्भरता का साधन बनाने के लिए केंद्र सरकार क्या प्रयास कर रही है.

इस पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार कई बड़ी योजनाएं चला रही है, जिनका फायदा उत्तराखंड समेत देशभर के पशुपालकों को मिल रहा है.

पशुपालन को बढ़ावा देने वाली बड़ी योजनाएं

केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन, राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम और पशुपालन अधोसंरचना विकास निधि जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं से देश में दूध उत्पादन, जानवरों की नस्ल सुधार, स्वास्थ्य सेवाएं और डेयरी प्रसंस्करण के क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है.

इन योजनाओं का मकसद है कि पशुपालन को सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि रोजगार और आत्मनिर्भरता का साधन बनाया जाए.

हरिद्वार में हो रहा है नस्ल सुधार और डेयरी ढांचे का विस्तार

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत हरिद्वार जिले में 1.56 लाख से ज्यादा कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) किए गए हैं. इससे अच्छी नस्ल के पशु तैयार किए जा रहे हैं. MAITRI योजना के तहत राज्य में 817 तकनीशियनों को प्रशिक्षण दिया गया है, जो गांव-गांव में जाकर प्रजनन और प्राथमिक इलाज की सेवा दे रहे हैं.

साथ ही, हरिद्वार में एक अत्याधुनिक नस्ल प्रजनन केंद्र (Breed Multiplication Farm) भी मंजूर किया गया है.

उत्तराखंड में डेयरी का बड़ा नेटवर्क बन रहा है

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तराखंड में 75.04 करोड़ रुपये की लागत से डेयरी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है। इसके साथ ही NABARD की RIDF योजना के तहत- नैनीताल में 1.50 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला आधुनिक डेयरी प्लांट मंजूर हुआ है. चंपावत में डेयरी प्लांट के विस्तार का काम भी स्वीकृत हो गया है. इसके अलावा पशुपालन अधोसंरचना विकास निधि के तहत राज्य में 9.60 करोड़ रुपये के दो प्रोजेक्ट मंजूर हुए हैं.

पशुओं की सेहत का भी पूरा ध्यान

केंद्र सरकार ने बताया कि लिवस्टॉक हेल्थ एंड डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत उत्तराखंड में अब तक 1.63 करोड़ टीकाकरण किए गए हैं. इनमें प्रमुख बीमारियों जैसे फुट एंड माउथ डिजीज (FMD), ब्रुसेलोसिस, पीपीआर और लंपी स्किन डिजीज के खिलाफ वैक्सीन दी गई है.

हरिद्वार जिले में:-

  • FMD के 16.61 लाख टीके
  • ब्रुसेलोसिस के 2.3 लाख टीके
  • LSD के 3.35 लाख टीके लगाए गए हैं.
  • राज्य में 60 मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स (MVUs) काम कर रही हैं, जिनमें से 5 हरिद्वार में हैं। ये इकाइयां गांवों में जाकर पशुओं का इलाज कर रही हैं.
  • गांवों में क्रांति ला रही हैं ये योजनाएं- त्रिवेंद्र सिंह रावत

हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार का आभार जताते हुए कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में पशुपालन ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से गांवों में डेयरी क्रांति आ रही है और सरकार इन्हें ग्राम स्तर पर और प्रभावी रूप से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने यह भी कहा कि गांव-गांव में रोजगार, महिलाओं की भागीदारी और युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए पशुपालन क्षेत्र की भूमिका को और मजबूत किया जाएगा.

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Published: 5 Aug, 2025 | 05:30 PM

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