दूध नहीं, मांस है कमाई का जरिया, जानिए क्या खास है गंजम बकरी में

गंजम बकरी ओडिशा की खास नस्ल है, जो अपनी ताकत, अनोखी बनावट के लिए जानी जाती है. इस नस्ल की बकरी इतनी खास क्यों है? जानने के लिए पढ़े पूरी खबर.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 14 Jun, 2025 | 03:54 PM

ओडिशा के गंजम और कोरापुट जिले में पाई जाने वाली गंजम नस्ल की बकरी पालकों के लिए कमाई का शानदार जरिया है. यह बकरी मांस और दूध दोनों के लिए पाली जाती है और पालकों को अच्छा मुनाफा देती है. आइए जानते हैं, गंजम बकरी की खासियतें और इसके फायदे.

मांस और दूध की खासियत

गंजम बकरी मांस और दूध दोनों के लिए मशहूर है. यह बकरी एक ब्यांत 65 किलो दूध देती है, जिससे पालकों को अच्छी कमाई होती है. इसके दूध से बना घी खास है, क्योंकि यह अस्थमा के इलाज में काम आता है. इस वजह से बाजार में इसकी कीमत ज्यादा है. इसके अलावा गंजम बकरी का मांस भी पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है. भारत में बकरी के मांस की हमेशा मांग रहती है, जिससे यह धंधा के लिए काफी फायदेमंद है.

पालकों को कैसे फायदा?

गंजम बकरी पालना आसान और मुनाफे का सौदा है. यह नस्ल मजबूत होती है और बीमारियों से आसानी से लड़ लेती है. ओडिशा के गंजम जिले में 9,230 वर्ग किलोमीटर के इलाके में यह पाई जाती है. 0 से 466 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यह आसानी से पलती है. इसके झुंड छोटे से लेकर 2,000 बकरियों तक के हो सकते हैं. सही नस्ल चुनकर पालक अपनी कमाई को कई गुना बढ़ा सकते हैं.

मजबूत शरीर

गंजम बकरी देखने में भी शानदार होती है. यह एक मजबूत, मध्यम आकार का जानवर जिसकी छाती चौड़ी, गर्दन मजबूत, पैर लंबे, और पीठ व जांघों पर घने बाल होते हैं. इस नस्ल के नर ज्यादा ताकतवर होते हैं और उनके सींग लंबाई और बनावट में खासे अलग होते हैं , मोटे, ज्यादा घुमावदार और मुड़े हुए. वहीं मादा के सींग पतले और सीधे होते हैं. इस नस्ल के नर बकरी के सींगों की लंबाई 53 सेंटीमीटर तक मापी गई है.

रंगों की विविधता

गंजम नस्ल की बकरियों में रंगों की भरमार देखने को मिलती है. काले, भूरे, मिश्रित (काला-भूरा, भूरा-काला) और यहां तक कि सफेद धब्बेदार भी. इनके खुर, थूथन, पलकों और सींगों पर हल्का धूसर काला रंग पाया जाता है, जो इनकी पहचान को और खास बना देता है.

सैकड़ों की संख्या में झुंड

गंजम बकरियां आमतौर पर बड़े झुंडों में पाली जाती हैं. कभी-कभी कई अलग-अलग झुंडों को मिलाकर 2,000 तक जानवरों का एक बड़ा समूह बना लिया जाता है. यह पैमाना दर्शाता है कि यह नस्ल कितनी लोकप्रिय और व्यावसायिक रूप से सफल हो सकती है.

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