एग्री एजूकेशन पर बड़ा फैसला.. 20 फीसदी सीटें ICAR परीक्षा से भरने के निर्देश, संस्थानों की बंद होगी मनमानी

अब BSc एग्रीकल्चर में दाखिला होगा समान नियमों से. ICAR परीक्षा से 20 फीसदी सीटें भरेंगी. छात्रों की वर्षों पुरानी परेशानी का समाधान हुआ. कृषि शिक्षा में अब राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता लाई जाएगी, जिससे योग्य छात्रों को लाभ मिलेगा.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 3 Oct, 2025 | 08:35 PM

देशभर के लाखों छात्रों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने हाल ही में ऐलान किया कि अब पूरे देश में BSc एग्रीकल्चर कोर्स में दाखिले के नियम एक जैसे होंगे. पहले अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नियमों के कारण छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था. अब वन नेशन, वन एग्रीकल्चर, वन टीम’ की भावना के तहत ICAR (इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च) द्वारा एक समान पात्रता नियम लागू किए जाएंगे और देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में 20 फीसदी सीटें अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से भरी जाएंगी.

छात्रों और अभिभावकों को मिलेगी राहत

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह फैसला लाखों छात्रों  और उनके माता-पिता के लिए राहत लेकर आया है. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से छात्रों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की थी. इसके बाद उन्होंने ICAR के DG और उनकी टीम को निर्देश दिया कि इस समस्या का तुरंत हल निकाला जाए. DG और उनकी टीम ने विश्वविद्यालयों से बातचीत कर इसका समाधान निकाला.

कृषि शिक्षा को मिलेगा नया आयाम

अब पूरे देश में BSc एग्रीकल्चर की शिक्षा  एक समान मानकों पर आधारित होगी. इससे न केवल छात्रों को लाभ मिलेगा, बल्कि देश के कृषि क्षेत्र को भी इससे फायदा होगा. अधिक संख्या में योग्य छात्र अब इस कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे और देश को ज्यादा प्रशिक्षित कृषि वैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स मिल सकेंगे. इससे कृषि क्षेत्र की क्वालिटी और रिसर्च को भी मजबूती मिलेगी.

अब नहीं होगी विषय संयोजन की उलझन

कई छात्रों के लिए सबसे बड़ी समस्या यही थी कि उन्होंने कृषि पढ़ा, लेकिन BSc एग्रीकल्चर में विषय संयोजन (subject combination) की वजह से वे पात्र नहीं माने गए. कहीं बायोलॉजी अनिवार्य थी, तो कहीं मैथ्स जरूरी थी. कई विश्वविद्यालयों के नियम इतने जटिल थे कि कृषि पढ़कर भी छात्र कृषि कोर्स में एडमिशन से वंचित रह जाते थे. अब एक समान पात्रता मापदंड होने से यह उलझन खत्म होगी.

देश के बाहर आलोचना नहीं, समाधान देश में ही

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि किसी भी देशभक्त नागरिक को अपने देश की आलोचना विदेशों में नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा, हम अपने देश में चर्चा कर सकते हैं, संसद है, जनता है. लेकिन दुनिया भर में देश की बदनामी करना पाप है. उनका ये बयान ऐसे समय में आया है जब शिक्षा, खासकर कृषि शिक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता लाने की कोशिश की जा रही है.

छात्रों की पुरानी परेशानी का हुआ समाधान

बीते कुछ वर्षों से BSc एग्रीकल्चर में दाखिले को लेकर छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. खासकर उत्तर भारत के राज्यों से कई छात्रों ने शिकायत की थी कि उन्होंने 12वीं में कृषि, बायोलॉजी और केमिस्ट्री जैसे विषय पढ़े, फिर भी उन्हें BSc एग्रीकल्चर कोर्स में एडमिशन नहीं मिला. अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नियम और विषय संयोजन की शर्तों के कारण कई योग्य छात्र पीछे रह जाते थे. यह समस्या सोशल मीडिया और अभिभावकों के माध्यम से भी सामने आई.

ICAR की पहल, उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया फैसला

छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए ICAR के डायरेक्टर मांगी लाल जाट ने देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों के साथ एक वर्चुअल बैठक की. इस बैठक में सभी से सुझाव लिए गए और नियमों की समीक्षा पर चर्चा हुई. बैठक के बाद यह तय किया गया कि अब सभी विश्वविद्यालय एक समान पात्रता नियम अपनाएंगे और 20 फीसदी सीटों को ICAR द्वारा आयोजित अखिल भारतीय परीक्षा के माध्यम से भरा जाएगा.

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Published: 3 Oct, 2025 | 08:24 PM

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