Agriculture Education:- भारतीय कृषि शिक्षा में बड़ा बदलाव आने वाला है. आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) ने बीएससी. कृषि कोर्स में प्रवेश के नियमों को लेकर हुई शिकायतों को गंभीरता से लिया है. उत्तर भारत के कई छात्रों ने आईसीएआर (ICAR) और यूजीसी को शिकायत की है कि 27 से अधिक केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय बीएससी. कृषि कोर्स में उन्हें प्रवेश नहीं दे रहे हैं. छात्रों, विधायकों और अभिभावकों ने इस नियम के खिलाफ आवाज उठाई है, जिसमें फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स या फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के छात्रों को ही प्रवेश देने की शर्त रखी गई है. इस पर आईसीएआर (ICAR) के निदेशक मांगी लाल जाट ने विश्वविद्यालयों के साथ वर्चुअल बैठक कर स्थिति सुधारने की पहल की है.
छात्रों की शिकायत
कई छात्र जो हाईस्कूल में कृषि, बायोलॉजी और केमिस्ट्री पढ़ते हैं, उन्हें बी.एससी. कृषि कोर्स में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालयों ने प्रवेश नियम ऐसे बना दिए हैं कि वे, जो कृषि विषय पढ़ चुके हैं, उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा रहा. यह समस्या खासकर उत्तर भारत के राज्यों से आई है, जहां इस विषय के छात्र काफी संख्या में हैं.
विधायकों और अभिभावकों की मांग
इस मुद्दे पर कई विधायक और अभिभावक भी छात्रों के समर्थन में आगे आए हैं. राजस्थान के विधायकों रवींद्र सिंह भाटी और मनीष यादव ने इस विषय में आईसीएआर के निदेशक को पत्र लिखा. उनका कहना है कि विश्वविद्यालयों द्वारा लागू किए गए प्रवेश नियमों की वजह से राजस्थान के करीब 10,000 छात्र प्रभावित होंगे. उन्होंने आईसीएआर से हस्तक्षेप करने और नियमों में बदलाव करने की अपील की है.
आईसीएआर ने की उच्च स्तरीय बैठक
आईसीएआर के निदेशक मांगी लाल जाट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालयों के उपकुलपतियों के साथ एक वर्चुअल बैठक आयोजित की. इस बैठक में विश्वविद्यालयों से सुझाव लिए गए और कुछ विश्वविद्यालयों ने प्रवेश नियमों की समीक्षा करने की बात कही. आईसीएआर का मानना है कि कृषि पढ़ाई करने वाले छात्रों को बी.एससी. कृषि में प्रवेश मिलने चाहिए क्योंकि यह उनके लिए और देश के कृषि क्षेत्र के लिए लाभकारी है.
सीयूईटी के जरिए प्रवेश की व्यवस्था
आईसीएआर, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के साथ मिलकर लगभग 60 कृषि विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) करवाता है. इसमें आईसीएआर के पास करीब 20 फीसदी सीटें होती हैं. शिकायतकर्ताओं ने आईसीएआर निदेशक और यूजीसी अध्यक्ष को बताया कि नए प्रवेश नियम पिछले अकादमिक वर्ष से लागू हैं, जबकि छात्रों और अभिभावकों ने पहले ही इसके खिलाफ अपनी चिंता जताई थी.
राज्य सरकारों की भूमिका और समाधान की दिशा

आईसीएआर के निदेशक मंगी लाल जाट
आईसीएआर के निदेशक मंगी लाल जाट ने कहा कि विश्वविद्यालय राज्य सरकारों के अंतर्गत आते हैं और शिक्षा राज्य विषय है. इसलिए विश्वविद्यालयों को अपने नियम बनाने का अधिकार है. फिर भी उन्होंने कहा कि छात्रों को प्रवेश से वंचित करना ठीक नहीं है. इस मामले में कई विश्वविद्यालयों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. सात विश्वविद्यालयों ने पहले ही घोषणा की है कि वे कृषि विषय के छात्रों को प्रवेश देंगे.
छात्रों के लिए नया अवसर
यह बदलाव किसानों के बच्चों और उन छात्रों के लिए बहुत बड़ा मौका है, जो कृषि क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं. बी.एससी. कृषि में अध्ययन कर वे बेहतर वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे अपनी खेती बेहतर कर पाएंगे और देश की कृषि प्रगति में योगदान देंगे. कृषि क्षेत्र को युवा प्रतिभाओं की जरूरत है, जो इस बदलाव से पूरी तरह लाभान्वित होंगे.
शिक्षा और कृषि का मेल
आईसीएआर की यह पहल बताती है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्रों को सही अवसर देने से न केवल युवाओं का विकास होगा बल्कि भारत की कृषि प्रणाली भी मजबूत होगी. छात्रों, अभिभावकों और नीति निर्माताओं को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा ताकि कोई भी छात्र उचित अधिकार से वंचित न रहे.